प्रवचन: परमात्मा बनने से पहले, बनना होगा इंसान: जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज

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आगरा: जैन मुनि डा.मणिभद्र महाराज ने कहा है कि परमात्मा बनने के लिए पहले व्यक्ति को इंसान बनना होगा। मन की गांठें को खोलकर जीवन को सहज और सरल बनाना होगा। तभी जीवन सार्थक बन सकेगा।

महावीर भवन, राजा मंडी में चातुर्मास के दौरान भक्तामर स्रोत का अऩुष्ठान किया जा रहा है। इस मौके पर प्रवचन करके हुए जैन मुनि ने कहा कि भगवान के दर्शन के लिए बच्चों की तरह मनोभाव लाने होंगे। बच्चों का जीवन बहुत ही सरल, सहज होता है। वह थोड़े में ही समझ जाते हैं। झगड़ने पर फिर उन्हीं बच्चों के साथ खेलने लगते है। लेकिन हम लोग मन में बैर मानने लगते हैं। बदला लेने की भावना पैदा हो जाती है। बैर भावना होने की वजह से मन में गांठे पड़ जाती हैं जो दुख देती हैं। उन्हें खोले बिना हम भगवान के दर्शन नहीं कर सकते।
जैन मुनि ने कहा कि भगवान के दर्शन के लिए आंतरिक नेत्रों को मजबूत करना होगा। अंतर्मुखी होना होगा। बाहरी दुनिया के आवरण से मुक्ति पानी होगी। लेकिन अहंकार के कारण हम उन्हें नहीं देख पाते। अहंकार की दीवार को हमें तोड़ना होगा।

महावीर भवन जैन स्थानक में भक्तामर स्तोत्र संपुट महासाधना के दौरान अभिमंत्रित स्वास्तिक वस्त्र एवम रुद्राक्ष माला जाप संपन्न करवाने वाले एस.एस.जैन युवा संगठन के सदस्यों को प्रदान करते जैन मुनि डॉक्टर मणिभद्र महाराज

अरिहंत भगवान के समवशरण की चर्चा करते हुए कहा कि अशोक वृक्ष के नीचे भगवान विराजमान होते हैं। उनके सिर पर तीन छत्र हैं ज्ञान, दर्शन और चारित्र्य के। उनके दोनों ओर चंवर ढारे जा रहे है, जिससे लगता है कि सुमेरु पर्वत के दोनों ओर झरने बह रहे हैं।  उनके दोनों ओर 32-32 इंद्र विराजमान हैं। उनके दर्शनों के लिए देवता भी लालायित रहते हैं। पर दर्शन भी उन्हीं को होते हैं, जिनकी आंतरिक इंद्रियां खुली हों। जो श्रद्धा और भक्ति के साथ देखते हैं। जिसे विश्वास नहीं, वह सहस्रों चक्षुओें से भी नहीं देख पाता। अभ्यांतर दृष्टि से देखने के लिए मन में पवित्रता और सरलता लानी पड़ती है। इस जरिए से तो सामान्य व्यक्ति भी कभी-कभी दर्शन पा लेता है।

जैन मुनि ने कहा कि व्यक्ति जिस उद्देश्य के लिए कर्म करता है, उसके लिए लक्ष्य निर्धारित करना चाहिए, तभी सफलता मिलती है। जब लक्ष्य की प्राप्ति हो जाती है तो अनंत आनंद की अनुभूति होती है।

साधु बनने की प्रक्रिया के बारे में उन्होंने कहा कि आमतौर पर लोगों में धारण है कि यदि बच्चा कुछ नहीं कर रहा तो साधु बना दो। वे ये सोचते हैं कि साधु बनना बहुत आसान है। बल्कि यह बहुत कठिन है। लोगों की दुकान तो सुबह आठ बजे खुलती हैं, हमारा काम तो सुबह 5 बजे शुरू हो जाता है। साधु बनने को आसान नहीं समझना चाहिए। इस मार्ग पर पग-पग कांटे हैं।

मानव मिलन संस्थापक नेपाल केसरी डॉक्टर मणिभद्र मुनि,बाल संस्कारक पुनीत मुनि जी एवं स्वाध्याय प्रेमी विराग मुनि के पावन सान्निध्य में 37 दिवसीय श्री भक्तामर स्तोत्र की संपुट महासाधना में रविवार को 30 एवम 31वीं गाथा का जाप एस. एस.जैन युवा संगठन, रविन्द्र मनीषा सकलेचा, डा. मुन्ना बाबू, डॉ बीना पारेख,अर्पित, श्वेता, इंद्रा जैन परिवार ने लिया। नवकार मंत्र जाप की आराधना मंगेश, मंजू, शशि सोनी परिवार ने की।

रविवार की धर्मसभा मेरठ,दिल्ली,वेल्लोर तमिलनाडु से आए अनेक श्रद्धालु उपस्थित थे। रविवार के अनुष्ठान में राजेश सकलेचा, नरेश जैन, विवेक कुमार जैन, राजीव जैन, वैभव जैन, अमित जैन, सचिन जैन, आदि उपस्थित थे।

-up18news