स्वतंत्रता में स्वच्छंदता पर नियंत्रण रखें: जैन मुनि डॉ.मणिभद्र महाराज

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कुर्बानियों के बाद मिली है आजादी, इसकी रक्षा करें

महावीर भवन, जैन स्थानक में जैन मुनियों ने दिए प्रवचन

आगरा: नेपाल केसरी व मानव मिलन संगठन के संस्थापक जैन मुनि डॉ. मणिभद्र महाराज ने स्वतंत्रता दिवस पर विशेष प्रवचन दिए। कहा कि हमें स्वाधीनता तो मिल गई, लेकिन स्वच्छंदता पर अंकुश नहीं लग पाया है, जो बहुत जरूरी है। तभी हम मोक्ष की भी प्राप्ति कर सकेंगे।

महावीर भवन, जैन स्थानक राजामंडी में प्रवचन करते हुए जैन मुनि ने सोमवार को कहा कि हमारे देशभक्तों के बलिदान से हमें आजादी मिली, लेकिन हम उनका गुणगान करने के बजाय केवल मनोरंजन करते हैं। खुशियां मनाते हैं। नई पीढ़़ी को यह बताना जरूरी है कि इस आजादी में कितने लोग फांसी पर लटके, कितनों ने गोलियां सीने पर खाईं। तभी यह राष्ट्रीय पर्व सार्थक हो सकता है। उन्होंने अमर शहीद चंद्रशेखर आजाद, भगत सिंह, राष्ट्रपिता महात्मा गांधी आदि का स्मरण करते हुए कि आज इन्हीं महापुरुषों की वजह से हम आजाद देश में सांस ले पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि स्वाधीनता का अर्थ स्वच्छंदता नहीं है। हमें अनुशासन में रहना चाहिए। अनुशासन को दंड समझने वाले कभी जीवन में सफल नहीं हो सकते। इससे पूर्व जैन मुनि पुनीत ने प्रवचन दिए। बनारस से आईं डॉ.सुधा जैन ने विचार व्यक्त किये।

मंगलवार को सुबह प्रवचन देते हुए डॉ. मणिभद्र महाराज ने कहा कि स्वर्ग और नर्क यही हैं। जिस घर में कलह हो वह नर्क समान और जहां सभी परिजनों में आपसी सद्भाव हो, वह स्वर्ग की तरह होता है, क्योंकि मर्यादा से ही जीवन सार्थक होता है। अनैतिकता से यदि वैभवशाली हो जाऐं तो वह जीवन सार्थक नहीं है। मित्र की परिभाषा बताते हुए कहा कि जो मिटने को तैयार हो, वह मित्र है। परिवार, समाज और राष्ट्र की सेवा में जो व्यक्ति जुटा रहेगा, वही सच्चा नागरिक है। सेवा की भावना भी तभी होगी, जब व्यक्ति को घर के क्लेश से मुक्ति मिलेगी। घर में क्लेश होता रहेगा तो वह कोई सेवा नहीं कर सकता। वह अपनी सारी ऊर्जा क्लेश में ही लगा देगा।

आनंद गाथा पति और उसकी पत्नी शिवानंद की विस्तृत चर्चा मुनिवर ने की। कहा कि दोनों ही एक दूसरे के लिए समर्पित थे, जब आनंद गाथा पति ने बारह व्रत धारण कर लिए तो शिवानंद भी भगवान महावीर के शरण में चली गईं। यानि दोनों ही एक दूसरे के भावों को समझते थे। जैन मुनि ने कहा कि व्यक्ति में आनंद होगा तो आनंद देगा, दुख होगा तो दुख देगा। जो धर्मिक व्यक्ति है, वह धर्म की ही बात करेगा। उन्होंने अनुमोदना को सबसे महत्वपूर्ण बताया।

जैन मुनि ने कहाकि यदि हम आने वाली पीढ़ी को धर्म की भावना से ओतप्रोत नहीं कर पाये तो अपराधी होंगे। क्योंकि नई पीढ़ी को धर्म से जोडऩे की जिम्मेदारी हमारी है। हमारे बच्चे यदि प्रवचन, सत्संग नहीं पहुंचते हैं तो हमें घर में सत्संग की चर्चा करनी चाहिए। घर में धर्म, ध्यान करना होगा। गुरु की वाणी का प्रचार.प्रसार करना होगा। वरना भविष्य अच्छा नहीं होगा। बच्चों की जिज्ञासा शांत करें, यदि स्वयं जिज्ञासा शांत नहीं कर पायें तो गुरुजनों के पास ले जाएं। लेकिन उन्हें धर्म से अवश्य जोड़ें। प्रारंभ में जैन मुनि पुनीत महाराज ने प्रवचन दिए।

इस चातुर्मास पर्व में नेपाल से आए डॉक्टर मणिभद्र के सांसारिक भाई पदम सुवेदी का सोलहवें दिन का उपवास जारी है। नेपाल से ही पधारे टीकाराम की पांच उपवास की तपस्या जारी है। मंगलवार को डॉक्टर मणिभद्र द्वारा प्रवचन में पदम सुवेदी के 16 उपवास और टीकाराम के 5 उपवास का प्रत्याख्यान किया जिसकी सभी ने अनुमोदना की ।आयंबिल की तपस्या की लड़ी निकिता जैन ने आगे बढ़ाई। मंगलवार के नवकार मंत्र के जाप का लाभ लता रूपल जैन एवम सुनीता अजय जैन परिवार शाहगंज ने लिया।आज की धर्मसभा में श्वेताम्बर जैन ट्रस्ट के अध्यक्ष अशोक जैन ओसवाल ने ट्रस्ट की तरफ से सभी तपस्या करने वालों का स्वागत किया।

-up18news