करुणा का शरीर में खून की तरह संचार होना चाहिए ताकि समस्त संसार प्रफुल्लित और विकसित हो सके: श्वेताम्बर जैन संत श्री जय मुनि जी महाराज

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आगरा । आगरा के राजामंडी स्थित जैन स्थानक महावीर भवन में श्रावकों को संबोधित करते हुए जैन संत जय मुनि जी महाराज ने महावीर स्वामी की करुणा यात्रा पर प्रकाश डालते हुए कहा कि करुणा कोई अदृश्य वस्तु नहीं है।परिवार में माता-पिता ने हम पर करुणा बरसाई है। ‘माँ’ या ‘माता’ शब्द लगने से चीजें पावन हो जाती हैं।

माँ ने हमेशा परिवार और संसार के लिए त्याग किया है।माता-पिता का कर्ज उतारना बहुत कठिन है। करुणा का शरीर में खून की तरह संचार होना चाहिए ताकि समस्त संसार प्रफुल्लित और विकसित हो सके।

आगरा के महावीर भवन में इन दिनों पाँच जैन मुनियों का चातुर्मास चल रहा है जहाँ प्रतिदिन प्रवचनों की त्रिवेणी बहती है । महावीर भवन में पूज्य श्री जयमुनि जी महाराज, पूज्य श्री आदीश मुनि जी महाराज और पूज्य श्री आदित्य मुनि जी महाराज द्वारा विभिन्न विषयों पर मर्मस्पर्शी व्याख्यान दिए जा रहे हैं।

शुक्रवार की धर्म सभा में आदीश मुनि जी द्वारा सुख पाने के सारगर्भित व्याख्यान दिए गए, जो श्रावकों के हृदय को अंदर तक छू लेते हैं। उन्होंने बताया कि सुख पाने के लिए सही दिशा में सही कदम बढ़ाना आवश्यक है। उन्होंने सुख पाने का दूसरा सूत्र ‘भूखा रहने’ या ‘कम खाने’ को बताया है। कम खाने के कई फायदे हैं, जैसे सहज तपस्या होगी, मन पर नियंत्रण आएगा, स्वादलोलुपता पर नियंत्रण होगा, शरीर के प्रति गहरी आसक्ति कम होगी और इच्छा शक्ति मजबूत होगी।

उन्होंने तीन बातें बताई हैं, जिन्हें व्यवहार में लाने से यह संभव है: जिस चीज़ पर मन ललचाए, वह नहीं खाना; जितना मन करे, उतना नहीं खाना; और जितनी बार मन करे, उतनी बार नहीं खाना।

इससे पूर्व आदित्य मुनि जी द्वारा संसार सागर से पार होने से संबंधित विषय पर व्याख्या की गई। उन्होंने बताया कि नग्न शरीर वाले जीवात्माओं को उसी जीवन में मोक्ष की प्राप्ति होती है। मोक्ष संसार का किनारा है, जिसे श्रद्धा, आस्था और विश्वास की आँखों से देखा जा सकता है।
हमारे कर्म आत्मा से चिपके हुए हैं और उनके क्षय से ही मोक्ष की प्राप्ति संभव है।