आईएनएस विक्रांत चीटिंग मामले में बीजेपी नेता किरीट सोमैया को क्लीन चिट

Politics

बॉम्बे हाईकोर्ट ने इसी साल अगस्त महीने में 57 करोड़ रुपये की कथित धोखाधड़ी के इस मामले में किरीट सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया को अग्रिम जमानत दी थी। मुंबई पुलिस ने कोर्ट को सूचित किया है कि उसे इस मामले में किरीट सोमैया के खिलाफ अभी तक कोई सबूत नहीं मिला है।

क्या है आईएनएस विक्रांत धोखाधड़ी मामला

किरीट और उनके बेटे नील सोमैया पर आरोप है कि उन्होंने नौ साल पहले सेवामुक्त हो चुके विमानवाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रांत को विखंडन से बचाने और उसे संग्रहालय में तब्दील करने के नाम पर एकत्र किये गए 57 करोड़ रुपये का दुरुपयोग किया है।

इस मुहीम में दो हजार रुपये दान देने वाले एक शिकायतकर्ता का कहना है कि वर्ष 2014 में उसे पता चला कि विक्रांत को तोड़ दिया गया और इस विमानवाहक पोत की 60 करोड़ रुपये में निलामी की गई।

इसी साल अप्रैल महीने में सोमैया को राहत देते हुए हाईकोर्ट ने कहा था कि एफआईआर इंगित करती है कि आरोप मुख्य रूप से मीडिया रिपोर्टों पर आधारित हैं। हालांकि 57 करोड़ रुपये के गबन के विशिष्ट आरोप हैं, लेकिन यह बताने के लिए कोई प्रूफ नहीं है कि शिकायतकर्ता किस आधार पर इस आंकड़े तक पहुंचा है। हालांकि, कोर्ट ने सोमैया से जांच में पूरा सहयोग करने का निर्देश दिया था।

बीजेपी नेता पर क्या है आरोप?

वर्ष 2014 में सेवा से बाहर हो चुके विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत को तोड़े जाने से बचाने के लिए कथित तौर पर क्राउड फंडिंग से 57 करोड़ रुपये से एकत्र किये गए थे. कहा जा रहा है कि इसी पैसे का सोमैया ने गलत इस्तेमाल किया। सेना के एक पूर्व अधिकारी की शिकायत के आधार पर पिता-पुत्र के खिलाफ मुंबई के ट्रॉम्बे पुलिस स्टेशन में मामला दर्ज किया गया था। इस मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए दोनों ने अग्रिम जमानत याचिका कोर्ट में दायर की थी।
दरअसल तब बीजेपी ने आईएनएस विक्रांत को बचाने के लिए मुहिम चलाई थी और लोगों से पैसा जमा कर उसे राजभवन में देने की बात कही थी। लेकिन सोमैया की तरफ से कथित तौर पर 57 करोड़ रुपये की राशि राज्यपाल के पास जमा नहीं कराई गई।

किरीट सोमैया का जवाब?

हालांकि किरीट सोमैया का कहना है कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया है और इस तरह का चंदा शिवसेना और कांग्रेस समेत अन्य पार्टियों द्वारा भी एकत्र किया गया है। वह भी इस अभियान को निजी तौर पर नहीं चला रहे थे, बल्कि यह पार्टी के स्तर पर था जबकि शिकायत के मुताबिक सोमैया और उनके बेटे नील सोमैया और अन्य ने मुंबई में जगह-जगह दानपत्र लगाकर चंदा एकत्र किया। बता दें कि आईएनएस विक्रांत ने 1961 से लेकर 1997 तक देश की सेवा की।

Compiled: up18 News