चीन के नोबेल पुरस्कार विजेता साहित्यकार मो यान के खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है। यह मुकदमा चीन के राष्ट्रवादी ब्लॉगर माने जाने वाले वू वानझेंग ने दायर कराया है। वू का आरोप है कि मो यान ने अपनी किताब में चीन की सेना की आलोचना की है और जापान के सैनिकों को गौरवशाली परिपेक्ष्य में दिखाया। मो यान की यह फिक्शनल किताब जापान के चीन पर हमले के समय पर आधारित है।
मो यान से मांगा गया 1.5 अरब युआन का जुर्माना
वू वानझेंग सोशल मीडिया पर काफी सक्रिय रहते हैं और अक्सर राष्ट्रवादी मुद्दों पर अपने विचार साझा करते रहते हैं। वू वानझेंग ने मुकदमे में मो यान से 1.5 अरब युआन का हर्जाना मांगा है। यह हर्जाना हर चीनी नागरिक के लिए एक युआन के आधार पर मांगा गया है और साथ ही मुकदमे में मो यान से माफी की मांग भी की गई है। वू वानझेंग ने ये भी मांग की है कि कथित विवादित किताब की बिक्री पर रोक लगाई जाए। हालांकि चीन की किसी अदालत ने अभी तक वू वानझेंग के मुकदमे को स्वीकार नहीं किया है।
मो यान को साल 2012 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार दिया गया था। अपने उपन्यास रेड सोरगुम के लिए मो यान को जाना जाता है। यह उपन्यास दूसरे सिनो-जापान युद्ध पर आधारित है। इस उपन्यास में एक ही परिवार की तीन पीढ़ियों की कहानी के बारे में बताया गया है।
वहीं वून वानझेंग द्वारा मुकदमा दायर करने पर मो यान ने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। इस मामले को लेकर चीन के सोशल मीडिया पर राष्ट्रवाद के मुद्दे पर बहस छिड़ी हुई है। कुछ यूजर्स ने वू वानझेंग का समर्थन किया है, वहीं कई यूजर्स ने मो यान का पक्ष लिया है और आरोप लगाया है कि वू वानझेंग सिर्फ चर्चित होने के लिए ऐसा कर रहा है।
चीनी कंपनी को भी होना पड़ा था आलोचना का शिकार
चीन में शी जिनपिंग के कार्यकाल में राष्ट्रवाद का उभार हुआ है। यही वजह है कि हाल ही में चीन की प्रसिद्ध बोतलबंद पानी की कंपनी नोन्गफू स्प्रिंग को भी आलोचना झेलनी पड़ी थी, जब कंपनी की ग्रीन टीकी ड्रिंक पर जापान के लकड़ी के पैगोडा जैसा डिजाइन बना था। यूजर्स ने नोन्गफू पर जापानी उत्पाद को बेचने का आरोप लगाया था और कंपनी के खिलाफ लोगों ने खूब गुस्सा निकाला था।
-एजेंसी