स्किन को यंग बनाए रखने में मदद करता है “बोटॉक्स ट्रीटमेंट”

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एक तरह का जहर है बोटॉक्स

‘बोटॉक्स’ एक ड्रग है जो असल में पॉइजन है। यह क्लॉस्ट्रीडियम बोटुलिनम (Clostridium Botulinum) नाम के बैक्टीरिया से बनता है। यह वही जहर है जो फूड पॉइजनिंग का काम करता है मगर आजकल इसका ब्यूटी ट्रीटमेंट के लिए खूब इस्तेमाल हो रहा है। ‘बोटॉक्स’ फेस फ्रीजिंग इंजेक्शन है जिससे चेहरे की मांसपेशियों को फ्रीज कर दिया जाता है। दरअसल उम्र बढ़ने के साथ चेहरे पर फाइन लाइन्स दिखने लगती हैं क्योंकि कसावट कम होने पर त्वचा ढीली पड़ने लगती हैं इसलिए झुर्रियां नजर आती हैं।

बोटॉक्स कोई ट्रीटमेंट नहीं, ब्रांड है

आज भले ही झुर्रियों को रोकने के लिए ‘बोटॉक्स’ पॉपुलर हो गया है लेकिन यह कोई ट्रीटमेंट नहीं, बल्कि कंपनी का ब्रांड नेम है। सबसे पहले इसी ब्रांड ने एंटी एजिंग के लिए Botulinum नाम के इंजेक्शन बनाए। आजकल एंटी एजिंग के लिए कई ब्रांड मार्केट में आ गए हैं।

समझिए कैसे काम करता है बोटॉक्स

‘बोटॉक्स’ इंजेक्शन के जरिए दिमाग से चेहरे की मांसपेशियों तक पहुंचने वाले सिग्नल को ब्लॉक कर दिया जाता है, ताकि चेहरे की मांसपेशियां सिकुड़ें नहीं। आसान शब्दों में कहें तो ‘बोटॉक्स’ इंजेक्शन मसल्स को कुछ समय के लिए पैरालाइज्ड कर देते हैं जिससे एजिंग पर कुछ समय के लिए फुलस्टॉप लग जाता है। उम्र के असर को रोकने का असल खेल यही है।

इसका इंजेक्शन फोरहेड लाइन्स यानी माथे, क्रो फीट यानी आंखों के पास की लाइनों और फ्राउन लाइन्स यानी भौंहों के बीच के भाग में लगाया जाता है। यह कुछ मिनटों का ही प्रॉसेस है। इसमें बेहोश करने की जरूरत नहीं होती और यही कॉस्मेटिक सर्जरी कहलाती है।

ट्रीटमेंट लेने से पहले स्किन की जांच जरूरी

30 साल के बाद चेहरे पर झुर्रियां पड़ने लगती हैं क्योंकि त्वचा को जवान बनाने वाला प्रोटीन फाइबर ‘कोलेजन’ कम होने लगता है। इसका कारण वर्कप्रेशर, पर्यावरण में बदलाव या हॉर्मोन बदलना हो सकता है।

‘बोटॉक्स’ हमेशा अच्छे स्किन स्पेशलिस्ट से ही कराना चाहिए, क्योंकि अगर इसे गलत तरीके से किया जाए तो चेहरा बिगड़ सकता है। इसे कराने से पहले स्किन स्पेशलिस्ट से संपर्क करें।

डर्मेटोलॉजिस्ट सबसे पहले स्किन की जांच करते हैं और यह पता लगाने की कोशिश करते हैं कि किस जगह कितनी यूनिट Botulinum दिया जाएगा। सबकी त्वचा अलग होने के साथ-साथ एजिंग प्रॉसेस भी अलग होती है। ऐसे में Botulinum की मात्रा भी उसी हिसाब से तय होती है। बोटॉक्स सेफ है। जांच के बाद स्किन स्पेशलिस्ट को पता चल जाता है कि ट्रीटमेंट लेने वाले की उम्र किस रफ्तार से बढ़ रही है। झुर्रियां कितनी गहरी हैं, कौन सी मसल्स को फ्रीज करना है।

कई तरह के होते हैं बोटॉक्स ट्रीटमेंट

मेसोबोटॉक्स (Mesobotox) : यह बोटॉक्स का बेबी वर्जन है। इसमें बोटॉक्स को कम मात्रा में इंजेक्ट किया जाता है। इससे पता चल सकता है कि शरीर में इसका असर कैसा हो रहा है। इसे एक तरह का टेस्टिंग प्रॉसेस भी कहते हैं।

मास्सेटर बोटॉक्स (Masseter botox) : यह जॉ लाइन का बोटॉक्स होता है। इसमें Masseter नाम की मांसपेशी को रिलैक्स किया जाता है। यह मांसपेशी खाना चबाने के काम आती है। बोटॉक्स इंजेक्शन देने के बाद जॉ स्क्वॉयर हो जाता है जिससे चेहरा पतला दिखने लगता है। हमारे देश में 22 साल की उम्र के लोग इसे लेने लगे हैं। इसके जरिए फेस की शेप में बदलाव आता है। इसका असर 8 महीने तक रहता है।

नेफर्टिटी लिफ्ट बोटॉक्स (Nefertiti lift Botox): इसमें गले पर इंजेक्शन लगाया जाता है। इसका मकसद गले और जॉ लाइन में कसावट लाना होता है।

ट्रीटमेंट लेने वालों में 70 फीसदी महिलाएं

एजिंग की पहली स्टेज पर केमिकल पील, लेजर जैसे ट्रीटमेंट दिए जाते हैं। जब चेहरे के एक्सप्रेशन और बात करते समय चेहरे की लाइनें ज्यादा दिखने लगे तो उसके लिए बोटॉक्स ट्रीटमेंट लिया जाता है ।

जब झुर्रियां ज्यादा हों तो स्किन लिफ्टिंग टेक्निक इस्तेमाल की जाती है। कुछ लोग ‘थ्रेड लिफ्ट’ जैसा नॉन सर्जिकल ट्रीटमेंट कराते हैं जिनसे बचना चाहिए। इनका असर लंबे समय तक नहीं रहता। साथ ही इसके साइड इफेक्ट भी होते हैं। इससे चेहरे पर धब्बे हो सकते हैं और चेहरा खराब भी हो सकता है। इसलिए एक अच्छा स्किन स्पेशलिस्ट कभी इसकी सलाह नहीं देता।

एंटी एजिंग ट्रीटमेंट के लिए महिला-पुरुष दोनों आते हैं लेकिन इनमें 70 फीसदी महिलाएं ही होती हैं। हर रोज कम से कम 5 लोग इस ट्रीटमेंट के लिए पहुंचते हैं।

लड़कों को लगती हैं लड़कियों के मुकाबले ज्यादा डोज

लड़कियों के मुकाबले लड़कों को बोटॉक्स की हाई डोज लगती। उन्हें भी महिलाओं की तरह इंजेक्शन की डोज से गुजरना पड़ता है लेकिन इसकी डोज की मात्रा ज्यादा होती है। पुरुषों की स्किन महिलाओं के मुकाबले मोटी होती है। महिलाओं में एंटी एजिंग ट्रीटमेंट के रिजल्ट जल्दी दिखते हैं, जबकि पुरुषों में इसका असर बाद में दिखना शुरू होता है।

दुनिया में बढ़ रही बोटॉक्स की पॉपुलैरिटी

साल 2011 की एक स्टडी के मुताबिक बोटॉक्स इंजेक्शन सेफ है। इसकी लगातार डोज लेने से माथे पर झुर्रियां लंबे समय तक गायब रहती हैं। स्टडी में 30 से 50 साल की उम्र की महिलाएं शामिल हुईं, जिन्हें माथे पर Botulinum Toxin की कम मात्रा में डोज दी गई। यह ट्रीटमेंट लगातार 2 साल तक दिया गया। अंतिम डोज पर देखा गया कि बोटॉक्स ने उनकी झुर्रियों को काफी कम कर दिया था।

अमेरिकन सोसायटी ऑफ प्लास्टिक सर्जन के अनुसार अमेरिका में साल 2020 में 40 लाख से ज्यादा महिलाओं ने यह ट्रीटमेंट लिया। यह ट्रीटमेंट 18 साल की उम्र से कम लोगों के लिए ब्रिटेन में बैन है। भारत में भी 18 साल के बाद ही यह ट्रीटमेंट दिया जाता है।

बोटॉक्स इंजेक्शन का असर 6 महीने तक रहता है

बोटॉक्स एक महंगा ट्रीटमेंट हैं जिसका असर 6 महीने तक रहता है। रिपीट डोज न लेने पर झुर्रियां वापस लौट आती हैं। यह ट्रीटमेंट हर स्किन टाइप को सूट करता है, लेकिन अगर किसी को वायरल इंफेक्शन होता हो या न्यूरोलॉजिकल या ब्लीडिंग डिसऑर्डर हो तो बोटॉक्स ट्रीटमेंट नहीं दिया जाता। डायबिटीज या हाई ब्लड प्रेशर में उन्हें कंट्रोल में रखने के बाद ही ट्रीटमेंट दिया जाता है।

-एजेंसी