यूं ही नहीं कसा गया है PFI पर शिकंजा: NIA के पास है इस कट्टरपंथी संगठन की पूरी कुंडली

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पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी PFI के टेरर लिंक को लेकर NIA ने गत गुरुवार को अब तक का सबसे बड़ा ऑपरेशन शुरू किया। ईडी और पुलिस के साथ NIA ने 15 राज्यों में PFI के 93 ठिकानों पर और उसके टॉप नेताओं के यहां छापेमारी की। करीब 106 गिरफ्तारियां हुईं। इसके खिलाफ पीएफआई ने अगले दिन केरल में बंद बुलाया। जगह-जगह सड़क जाम करने की कोशिश की। कुछ जगहों पर सरकारी बसों में तोड़फोड़ हुई। कुल मिलाकर बंद के लिए हिंसा का यथासंभव सहारा लिया गया। केरल हाई कोर्ट ने इसका स्‍वत: संज्ञान लिया है।

अपने खिलाफ हुई इस बड़ी कार्रवाई से बौखलाई कट्टरवादी संस्‍था अब बचाव में चाहे जो कहे किंतु सच यह है कि केंद्र सरकार ने यूं ही इस पर शिकंजा नहीं कसा है। नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) के पास इस कट्टरपंथी संगठन की पूरी कुंडली है। उसके खतरनाक मंसूबों को लेकर 2017 में ही एजेंसी ने एक विस्तृत डोजियर तैयार किया था।

एनआईए को ऐसी सूचनाएं और सबूत मिले थे कि पीएफआई के नेता टेरर फंडिंग और आतंकी गतिविधियों में शामिल हैं। हथियार चलाने के लिए ट्रेनिंग कैंप चला रहे हैं और युवाओं को कट्टर बनाकर प्रतिबंधित संगठनों में शामिल होने के लिए उकसा रहे हैं। इसके बाद ही एनआईए ने पीएफआई नेताओं के खिलाफ बड़े पैमाने पर छापेमारी और गिरफ्तारी का अभियान चलाया।

‘तालिबान ब्रांड इस्लाम के लिए PFI की कई मोर्चों वाली रणनीति’

नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने पीएफआई को लेकर 2017 में जो डोजियर तैयार किया था उसमें कहा गया है कि इसका उद्देश्य ‘तालिबान मार्का इस्लाम’ लागू करने का है। उसके पास बम बनाने वाले एक्सपर्ट के दस्ते हैं। एनआईए के मुताबिक PFI देश की राजनीति को सांप्रदायिक बनाने और तालिबान ब्रांड इस्लाम के मकसद से कई मोर्चों वाली रणनीति पर आगे बढ़ रहा था। इसका उद्देश्य मुख्य धारा के मुस्लिम संगठनों की सामूहिक चेतना खत्म करना था। यह समाज में बंटवारे की भावना को बढ़ाना चाहता था। डोजियर के मुताबिक पीएफआई ने प्रशिक्षित वॉलंटियर्स की फौज तैयार कर ली थी, जो जरूरत पड़ने पर उसकी कार्रवाइयों को अंजाम दे सकें।

डोजियर में एनआईए ने आरोप लगाया है कि पीएफआई मुस्लिमों में मजहबी कट्टरता बढ़ा रहा है। वह अपने काडर के जरिए ‘दावाह’ का प्रचार कर रहा है।

सत्यसारिणी या मरकजुल हिदाया एजुकेशनल एण्‍ड चैरिटेबल ट्रस्ट जैसी संस्थाओं के जरिए कट्टरता को बढ़ावा दिया जा रहा था। सत्यसारिणी पर जबरन धर्मांतरण के आरोप भी लग चुके हैं। बहुचर्चित अखिला अशोकन उर्फ हदिया केस में भी इसकी भूमिका थी।

2006 में सिमी के पूर्व नेताओं ने पीएफआई का गठन किया

पीएफआई की स्थापना 2006 में हुई थी। बाबरी-विध्वंस के बाद 1993 में सिमी के कुछ पूर्व सदस्यों ने नेशनल डिवेलपमेंट फ्रंट (NDF) बनाया था। 2006 में एनडीएफ और कुछ अन्य मुस्लिम संगठनों के विलय से पीएफआई का जन्म हुआ। इनमें तमिलनाडु की मनिता नीति पसराई, कर्नाटक में सक्रिय कर्नाटक फोरम ऑफ डिग्निटी, सिटिजंस फोरम ऑफ गोवा, राजस्थान स्थित कम्युनिटी एण्‍ड सोशल एजुकेशन सोसाइटी और आंध्र प्रदेश की नागरिक अधिकार सुरक्षा समिति शामिल थीं।

20 से ज्यादा राज्यों में PFI की मौजूदगी, 12 में मजबूत सांगठनिक ढांचा

गुरुवार को गिरफ्तार किए गए ईएम अब्दुरहमान, प्रोफेसर पी कोया और ई अबूबकर जैसे पीएफआई के नेताओं (तीनों सिमी के नेता रह चुके हैं) ने उत्तर और पूर्वोत्तर भारत में मुस्लिम नेताओं के बीच पैंठ बढ़ाई। वैसे तो पीएफआई केरल, कर्नाटक और तमिलनाडु में सबसे ज्यादा सक्रिय है लेकिन अब करीब 2 दर्जन राज्यों में उसकी मौजूदगी है। 12 राज्यों में उसने मजबूत सांगठनिक ढांचा तैयार कर लिया है।

मानवाधिकार समूहों का मुखौटा, अजेंडा रैडिकल इस्लाम’

एक इंटेलिजेंस ऑफिसर के अनुसार अपने पैरेंट ऑर्गनाइजेशन एनडीएफ की तरह पीएफआई भी रैडिकल इस्लाम के अजेंडा से प्रेरित है। इसके लिए वह मानवाधिकार का मुखौटा पहने हुए है। एनआईए के 2017 के डोजियर में इसका जिक्र है कि पीएफआई के पास बम और आईईडी बनाने में दक्ष लोगों के प्रशिक्षित दस्ते हैं। उसका ढांचा बहुत ही व्यवस्थित है। उसकी इंटेलिजेंस विंग स्थानीय स्तर पर सूचनाएं इकट्ठी करती है। एक्शन स्क्वॉड गैरकानूनी और हिंसक गतिविधियां चलाती हैं।

भावनात्मक मुद्दों से जुड़े वीडियो दिखा मुस्लिम युवाओं को बना रहे कट्टर’

अधिकारी के मुताबिक पीएफआई के खिलाफ शिकंजा कसने की तैयारी पिछले कुछ सालों से चल रही थी क्योंकि पीएफआई मुस्लिम युवाओं को तेजी से भर्ती कर रहा था। उन्हें कट्टरता का पाठ पढ़ाया जा रहा था। बाबरी विध्वंस, सांप्रदायिक दंगे और यहां तक कि फिलिस्तीन संघर्ष जैसे भावनात्मक मुद्दों से जुड़े वीडियो क्लिप दिखाकर उनका ब्रेन वॉश किया जा रहा था।

-एजेंसी