महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की जेल से बाहर निकलने की उम्मीद एक बार फिर से टूट गई। इस बार जमानत भी मिल गई लेकिन CBI की आखिरी दलील ने 10 मिनट के भीतर खेल पलट कर रख दिया। दरअसल, देशमुख को बेल मिलने के बाद सीबीआई ने हाईकोर्ट के सामने सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही जिसके बाद अदालत ने उन्हें अनुमति दे दी और इस संदर्भ में खुद के आदेश पर 10 दिनों के लिए रोक लगा दी।
बता दें कि देशमुख लगभग 13 महीनों से न्यायिक हिरासत में बंद हैं। देशमुख एक ही आरोप से उत्पन्न दो जांचों में उलझे हुए हैं- एक केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) द्वारा भ्रष्टाचार के अपराध के लिए और दूसरा प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के लिए। हालांकि देशमुख को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 4 अक्तूबर को जमानत दे दी थी लेकिन सीबीआई वाले मामले में, विशेष अदालत ने उन्हें जमानत देने से इंकार कर दिया था और उसी को देशमुख ने उच्च न्यायालय के समक्ष चुनौती दी थी।
देशमुख के वकील ने दिए ये तर्क
वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी और देशमुख की ओर से पेश अधिवक्ता अनिकेत निकम ने तर्क दिया कि चूंकि दोनों मामले जुड़े हुए हैं और चूंकि देशमुख को ईडी मामले में जमानत दी गई थी, इसलिए उन्हें सीबीआई मामले में जमानत दी जानी चाहिए।
चौधरी ने तर्क दिया कि देशमुख ने कथित रूप से एक अपराध करने के लिए एक वर्ष से अधिक समय व्यतीत किया है इसलिए अब उन्हें जमानत मिलनी चाहिए। वहीं अधिवक्ता अनिकेत निकम ने कहा कि हमने अदालत में स्वास्थ्य के आधार पर बहस की। उनका स्वास्थ्य बिगड़ रहा था और हमने अदालत के समक्ष उनके स्वास्थ्य रिकॉर्ड पेश किए। लेकिन सीबीआई ने इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाने की बात कही। जिसके बाद अदालत ने उन्हें अनुमति दे दी और इस संदर्भ में 10 दिनों के लिए आदेश पर रोक लगा दी।
सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ने किया जमानत का विरोध
वहीं सीबीआई की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह ने याचिका का विरोध करते हुए कहा कि मंत्री उच्चतम स्तर के भ्रष्टाचार में शामिल थे जिसने राज्य में शासन को प्रभावित किया। सिंह ने यह भी तर्क दिया कि मनी लॉन्ड्रिंग मामले में दी गई जमानत विधेय अपराध (इस मामले में, भ्रष्टाचार मामले) में जमानत देने का आधार नहीं हो सकती है।
सिंह ने बताया कि देशमुख को सीबीआई की प्राथमिकी को रद्द करने और डिफॉल्ट जमानत की मांग करने वाली याचिकाओं में राहत देने से इंकार कर दिया गया था। सिंह ने यह आशंका भी जताई कि एक प्रभावशाली व्यक्ति होने के नाते देशमुख मामले में लंबित जांच में हस्तक्षेप कर सकते हैं।
जमानत के लिए अब नवाब मलिक पहुंचे बॉम्बे हाईकोर्ट
महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री नवाब मलिक ने भी भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों से जुड़े एक भूमि सौदे से संबंधित कथित धन शोधन के एक मामले में जमानत के लिए बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। वकील तारक सैयद और कुशल मोर के जरिए मलिक ने यह याचिका दायर करवाई है। उच्च न्यायालय ने मामले पर मंगलवार को सुनवाई करेगा। इससे पहले 30 नवंबर को एक विशेष अदालत ने मामले में मलिक की जमानत याचिका खारिज कर दी थी।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने इस साल फरवरी में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता मलिक को गिरफ्तार किया था। वह न्यायिक हिरासत में हैं और अभी उनका यहां के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा है।
Compiled: up18 News
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