इमरान विरोधी जस्टिस काजी फैज ईसा बने पाकिस्तान के 29वें चीफ जस्टिस

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पूर्व चीफ जस्टिस उमर अता बंदियाल ने ईसा को कभी तरजीह नहीं दी। उन्हें किसी बेंच का हिस्सा नहीं बनाया। 2019 में इमरान खान जब प्रधानमंत्री थे तो जस्टिस ईसा और उनकी पत्नी सरीना ईसा पर करप्शन के आरोप लगाए गए। सरीना को गिरफ्तार भी किया गया। खान मर्जी के फैसले न देने की वजह से ईसा से नाराज थे और उन्हें जेल भेजना चाहते थे, हालांकि वो नाकाम रहे।

कौन हैं जस्टिस ईसा

जस्टिस ईसा का जन्म 26 अक्टूबर 1959 को बलूचिस्तान की राजधानी क्वेटा में हुआ। पिता मोहम्मद अली जिन्ना के करीबी रहे। मां सोशल वर्कर थीं। उनका ज्यादातर वक्त एजुकेशन के अलावा महिलाओं और बच्चों से जुड़े चैरिटिबल ऑर्गनाइजेशन्स के साथ काम करने में गुजरता था।

क्वेटा में प्राइमरी एजुकेशन के बाद जस्टिस ईसा कराची आ गए। इसके बाद उन्हें लंदन के लॉ कॉलेज से ग्रेजुएशन किया। 1985 में वो बलूचिस्तान हाईकोर्ट में प्रैक्टिस करने लगे। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ऑफ पाकिस्तान आ गए। 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट ऑफ पाकिस्तान में जज अपॉइंट किया गया।

इमरान से दुश्मनी

फौज ने इलेक्शन धांधली करके इमरान खान को 2018 में प्रधानमंत्री बनवाया। जस्टिस ईसा के कई फैसले इमरान को नागवार गुजरे। बदला लेने के लिए उन्होंने अपनी पार्टी के प्रेसिडेंट आरिफ अल्वी से जस्टिस ईसा और उनकी पत्नी के खिलाफ स्पेशल रेफरेंस केस दायर करवा दिया। उन पर करप्शन के आरोप लगाए गए। खान ने कहा कि जस्टिस ईसा और उनकी पत्नी ने करप्शन के पैसों से लंदन में करोड़ों रुपए की प्रॉपर्टी खरीदी।

ईसा का साथ उस वक्त फौज ने भी नहीं दिया, क्योंकि उनके कुछ फैसले फौज के भी खिलाफ थे। बहरहाल, अपने ही कोर्ट में तमाम आरोपों का सामना करने के बाद जस्टिस ईसा को बेकसूर पाया गया और वो पद पर बहाल हो गए। हालांकि, पूर्व चीफ जस्टिस और इमरान के खास दोस्त उमर अता बंदियाल ने बेहद जूनियर जजों को प्रमोट करके सुप्रीम कोर्ट में बिठा दिया और जस्टिस ईसा को किसी बेंच का हिस्सा नहीं बनाया।

पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट में इस वक्त 56 हजार केस पेंडिंग हैं। जस्टिस ईसा अब तक इसी कोर्ट में सिर्फ क्लैरिकल नैचर के काम देख रहे थे। अब उन्हें कोर्ट के पॉवर्स कम करने समेत कुछ अहम फैसले देने होंगे।

इमरान की मुश्किलें बढ़ेंगी

तोशाखाना केस में इमरान इस वक्त तीन साल की सजा काट कर रहे हैं। उनके खिलाफ कम से कम चार और केस ऐसे हैं, जिनमें सजा होना तय है, क्योंकि उनके खिलाफ बेहद पुख्ता सबूत हैं। इमरान इन मामलों में कभी कोर्ट में पेश नहीं होते।

पूर्व चीफ जस्टिस बंदियाल ने खान को हर मामले में और हर वक्त राहत दी। 9 मई को गिरफ्तारी के बाद जब 10 मई को खान को सुप्रीम कोर्ट में पेश किया गया था तो बंदियाल ने कुर्सी से उठकर उन्हें रिसीव किया और कैमरों के सामने कहा- ग्लैड टू सी यू। यानी आपको देखकर खुशी हुई।

अब खान के खिलाफ केसों की सुनवाई में तेजी आ सकती है। 9 मई को मिलिट्री बेस पर हमले के मामले में उनका केस मिलिट्री कोर्ट में चलाने पर भी जस्टिस ईसा मुहर लगा सकते हैं। अगर ऐसा होता है तो खान का बाकी जिंदगी जेल में भी काटनी पड़ सकती है।

Compiled: up18 News