अपने स्वादिष्ट जामुन के लिए दुनिया भर में प्रसिद्ध है आगरा का जारुआ कटारा बगीचा

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क्या आप जानते हैं कि उत्तर प्रदेश के शहर आगरा में थाना मलपुरा क्षेत्र स्थित, जारुआ कटरा बगीचों की वजह से दुनिया भर में प्रसिद्ध है लेकिन खेती के लिहाज से भी इसका नाम मशहूर है। जयपुर, दिल्ली-मुंबई सहित लगभग पूरे उत्तर भारत में जो स्वादिष्ट मीठे और काले जामुन आप इन दिनों खा रहे हैं। बहुत संभव है कि यह जामुन आगरा से 6 या 7 किलोमीटर दूर एक बेहद सुंदर से गांव जारुआ कटरा के किसी बगीचे से टूट कर लाये गए होंगे। दरअसल जारुआ कटरा और आसपास के गांवों में जामुन के सैकड़ों बगीचे हैं। यहां फालसे, अमरुद, बेर, कटहल, करौंदा, आमला, आम, आदि के बगीचे सबसे ज्यादा हैं। यहां चारों तरफ सिर्फ बगीचा ही बगीचा आपको दिख जाएंगे।

जारुआ कटरा में ज्यादातर किसान बाग बगीचों के भरोसे रहता है। इसी से अपने बच्चों का पालन पोषण भी करता है। लेकिन अबकी बार किसान को जामुन की फसल ने धोखा दे दिया। एक तो जामुन कम हुई और बाकी कसर मौसम ने पूरी कर दी है। मीडिया से बात करते हुए किसान हरिओम ने बताया कि अबकी बार जामुन पेड़ पर दिख ही नहीं रही। एक तो कम आई है दूसरा मंडियों के भाव में भी उछाल नहीं आया। जिससें मेहनत भी नहीं निकल पा रही। वहीँ कलबो देवी ने बताया कि अबकी बार मेहनत भी नहीं निकल पाएगी। किसी पेड़ पर जामुन है। किसी पेड़ पर नहीं। लीला देवी ने कहा हमारा गुजारा कैसे हो? जामुन सस्ती हो गई है। खर्चा भी नहीं निकल पा रहा।

बेमौसम की वजह से “आम”, फालसा की खेती और अब जामुन के बिगड़े मिजाज। यह सब किसान को झेलने पड़ रहे हैं। एक तरफ तो फलों की आमद कम हुई वहीँ दूसरी तरफ लगातार बारिश होने के चलते गर्मी कम पड़ी जिस कारण लोगों ने गर्मी से राहत दिलाने वाले मौसमी फलों का रुख नहीं किया। इस कारण बाग बगीचे लगाकर फल उगाने वाले कई किसानों की लागत भी नहीं निकल पाई है। ऐसे में उनके सामने खाने पीने और घर का खर्च चलाने का संकट पैदा हो गया है।

वहीँ योग गुरु राजीव शर्मा कहते हैं कि जामुन हमारे लिए बड़े फायदेमंद हैं। जामुन को हर व्यक्ति को खाना चाहिए। डायबिटीज में यह फल रामबाण का काम करता है। यह पेड़ बड़ा लाभ कारी होता है। इस पेड़ का फल ही नहीं। पत्ते इसकी छाल सब से दबाए बनती हैं। उन्होंने लोगों से अपील की है। पेड़ लगाने के साथ एक फल जामुन का अवश्य लगाएं।