आगरा: चूहों ने की जमीन खोखली, हिलने लगी लोगों के मकानों की भी नींव, डर के साये में रहने को मजबूर कई परिवार

स्थानीय समाचार

आगरा: सुना अवश्य था कि चूहे पहाड़ को भी कुतर कर राह बना लेते हैं। चूहों के लिए किसी भी चीज को कुतरना कोई बड़ी बात नहीं है। आगरा में भी एक ऐसा ही मामला देखने को मिल रहा है। इन चूहों की बदौलत कई लोगों के आशियाने उजड़ने को हैं। अपने आशियाना को ढेर होता देख लोग सदमे में हैं और उनका रो रो कर बुरा हाल है।

छत्ता वार्ड की सिंगी गली का है बुरा हाल

चूहों का आतंक इस समय पुराने शहर के सिंगी गली में देखने को मिल रहा है। यहां पर चूहों ने जमीन को खोखला कर दिया है। लोगों के मकानों की नींव भी हिलने लगी है जिसके चलते अब कई घरों में दरारें भी आ गई हैं तो कुछ मकान जर्जर और गिरासू भी हो चुके हैं। सबसे ज्यादा बुरी स्थिति तो 5 मकानों की है जिनके गिरने का खतरा पैदा हो गया है। ये मकान बेहद जर्जर स्थिति में आ गए हैं, जिनमें बड़ी-बड़ी दरारें पड़ गईं। दीवारों और छत के जोड़ में दरारों के कारण इनके कभी भी धराशाई हो जाने की आशंका है।

मकानों में बांस व बल्लिया लगाई

जर्जर मकान में रहने वाली कमला देवी लोगों ने छतों को गिरने से बचाने के लिए बल्लियों को लगा रखा है जिससे किसी अप्रिय घटना से बचा जा सके। जिन लोगों के यह मकान है वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं और अपने मकानों का जीर्णोद्धार नहीं करा पा रहे हैं। इसलिए वह संबंधित विभागों से जुड़ी समस्याओं से निजात पाने के लिए लगातार गुहार लगा रहे हैं।

पास से निकल रहा है नाला

पीड़ित गीता के मुताबिक गली के पास से नाला निकला है। इस नाले के सहारे से ही चूहों ने जमीन को खोदना शुरू कर दिया। बारिश से यह जमीन और ज्यादा खोखली हो गई जिसके चलते लोगों ने इस जमीन को और आसानी से खोदते हुए चले गए। अब लगातार बारिश हो रही है, बारिश का पानी जमीन में समा रहा है जिसके चलते घरों में दरारें पड़ने लगी हैं।

आर्थिक कमजोरी से हुए बेबस

जर्जर मकानों में रहने को मजबूर स्वाति और अन्य लोगों ने बताया कि वह आर्थिक रूप से कमजोर हैं। रोज कमाते हैं और रोज खाते हैं। ऐसे में मकान का जीर्णोद्धार कराना उनके लिए बेहद मुश्किल होता चला जा रहा है। इसीलिए तो वह मजबूरी में इस घर में ही रहने को मजबूर हैं। क्योंकि अगर घर छोड़कर दूसरी जगह रहते हैं तो उसके लिए किराया देना होगा और इस समय उनकी आर्थिक स्थिति इस लायक नहीं है। इसीलिए जान हथेली पर रखकर वह इन मकानों में रहने को मजबूर हैं। दो फीट की सिंगी गली में छज्जों और छतों को रोकने के लिए बल्लियों को लगा रखा है। यहां रहने वाले लोगों को डर है कि कहीं हादसा न हो जाए।

-एजेंसी


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