आगरा: पदमश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा, ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए

Press Release

आगरा: महज एक झील ने ला दी थी केदारनाथ में तबाही। अब तो हिमालय में 100 से अधिक तालाब व झील ग्लेशियर के पिघलने के कारण बने। पर्यावरणविद पदमश्री कल्याण सिंह ने कहा, सबसे ज्यादा खतरा भारत को।

मन की उड़ान कार्यक्रम में शिरकत करने शुक्रवार को आगरा आए पद्मश्री मैती आंदोलन के प्रणेता जीव विज्ञान के रिटायर्ड प्रवक्ता कल्याण सिंह रावत मीडिया से रूबरू हुए। मीडिया से वार्ता करते हुए उन्होंने ग्लोबल वार्मिंग पर चिंता व्यक्त की। इसे पूरे विश्व के लिए खतरा भी बताया। आपको बताते चलें कि कल्याण सिंह रावत इस समय पर्यावरण संरक्षण को लेकर एक अलग ही मुहिम छेड़े हुए हैंं। पर्यावरण को लेकर विभिन्न प्रकार के शोध भी कर रहे हैं।

हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं चिंताजनक है स्थिति
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत ने कहा कि इस समय हिमालय के ग्लेशियर पिघल रहे हैं। हिमालय के अंदर छोटे-छोटे लगभग 100 से अधिक तालाब और झील बन चुके हैं। ग्लेशियर पिघल कर छोटे-छोटे तालाबों और झीलों में तब्दील हो रहे हैं। वह एक बड़ी चिंता का विषय बन चुका है क्योंकि यह छोटे-छोटे झील और तालाब कभी भी बड़ी तबाही ला सकते हैं और इसका सबसे ज्यादा खतरा भारत को ही रहेगा।

केदारनाथ का उदाहरण है सभी के सामने

पद्मश्री पर्यावरणविद कल्याण सिंह रावत का कहना है कि केदारनाथ का उदाहरण सभी के सामने है। केदारनाथ में जो सफाई हुई थी और सब कुछ बर्बाद हुआ था वह सिर्फ एक झील के कारण हुआ। ग्लोबल वार्मिंग के चलते ग्लेशियर के पिघलने से एक झील बनी थी और इस झील के टूटने से ही सैलाब आया था। उस सैलाब में सब कुछ बह कर चला गया था। वह तो सिर्फ एक झील का ही नमूना था लेकिन अब हिमालय के अंदर 100 से अधिक तलाब और झीलें बन चुके हैं। जब यह अपनी सीमाएं लाघेंगे तो स्थिति क्या होगी यह आप सभी जान सकते हैं।

भूकंप के पांचवें जोन में आता है हिमालय

पद्मश्री कल्याण सिंह रावत का कहना है कि हिमालय भूकंप के पांचवे जोन में आता है। अगर हिमालय में भूकंप आया तो स्थिति बिल्कुल विपरीत हो जाएगी। इसे अभी समझना होगा। ग्लोबल वार्मिंग से निपटने के जितने प्रयास हो सकते हैं, हर संभव प्रयास करने चाहिए। अधिक से अधिक पेड़ पौधे लगाएं, ताकि पर्यावरण संरक्षित हो। विभिन्न प्रकार की गैसें जो पर्यावरण के लिए नुकसानदायक हैं, उन को कम किया जा सके, तब जाकर ग्लेशियरों का पिघलना कम होगा।

पानी का स्त्रोत काम हो रहा है, वायु प्रदूषित हो रही है
पद्मश्री कल्याण सिंह रावत का कहना है कि पानी का स्रोत लगातार कम हो रहा है। जमीन के अंदर जो जल है, वह लगातार गिरता चला जा रहा है। ऐसे में जल की कमी जमीन में होने लगी है तो वहीं पर्यावरण और वायु की सुध नहीं रही है जिससे आज के समय में पर्यावरण चिंता का विषय बन चुका है।