श्रीकृष्ण लीला समिति कर रही है श्री कृष्ण लीला शताब्दी वर्ष महोत्सव का आयोजन
श्रीरास बिहारी कृपा सेवा ट्रस्ट के कलाकार दे रहे भावपूर्ण अभिनय प्रस्तुति, डांडिया रास की भी रही धूम
आगरा। श्वेत माखन प्रतिक है शुद्धता का, जीवन के संघर्षों से मथ कर जो पवित्रता निकलती है उसके प्रतीक का। आदि पुरुष श्रीकृष्ण की हर लीला जीवन संदेश हैं। जिनमें से प्रमुख है माखन चोरी लीला। चित्त की शुद्धि के लिए प्रारब्धों से मुक्त होकर कैसे जीवन को स्वच्छ और निर्मल किया जाता है ये संदेश दिया गया श्रीकृष्ण लीला मंचन में माखन चोरी लीला के अंतर्गत।
गौशाला प्रांगण, बल्केश्वर में श्रीकृष्ण लीला समिति द्वारा आयोजित श्रीकृष्ण लीला शताब्दी वर्ष महोत्सव में माखन चोरी लीला, तुलसी चरित्र एवं डांडिया रास हुआ। लीला निर्देशक स्वामी प्रदीप कृष्ण ठाकुर के निर्देशन में श्रीरास बिहारी कृपा सेवा ट्रस्ट के कलाकारों ने अपने अभिनय से दर्शकों को बांध कर रख दिया। लीला प्रसंग में सर्वप्रथम हरि और हर यानि श्री नारायण हरि विष्णु और महादेव का मिलन प्रसंग हुआ। महादेव के आराध्य नारायण और नारायण के आराध्य महादेव की जब श्रीकृष्ण अवतार में भेंट हुई तो महादेव को गोपी का रूप भी धारण करना पड़ा। इसके बाद हुआ मैया मोरी मैं नहीं माखन खायौ…भजन के साथ माखन चोरी प्रसंग। बाल गोपल की ग्वालबालों संग नटखट लीला ने श्रद्धालुओं को भाव विभोर कर दिया।
बाल्यावस्था से ही कान्हा को मक्खन अतिप्रिय था। माता यशोदा अपने लाला को जो मक्खन देती थीं, उससे उनका मन नहीं भरता था। इसलिए, मैया जहां भी मक्खन रखतीं कृष्ण चुपके से ब्रज के सखाओं के साथ आकर सारा माखन खा जाते थे। यशोदा को कुछ समझ नहीं आया कि माखन कौन चुरा रहा है। उन्होंने एक दिन चुपके से मक्खन से भरे छोटे-छोटे घड़ों को रस्सी के सहारे ऊपर टांग दिया, लेकिन श्री कृष्ण की नजरों से क्या छिप सकता है, उन्होंने माता को मक्खन रखते हुए देख लिया।
उन्होंने सभी ग्वालों को इकट्ठा किया और एक घेरा बनाया। उसके ऊपर चढ़कर मटकी फोड़ी और सखाओं सहित सम्पूर्ण माखन चट कर गए। यशोदा यह सब चुपके से देख रही थीं। बोलीं, अच्छा तो तुम हो वो माखन चोर, जिसने मुझे बहुत परेशान किया है। कृष्ण, माता को देखकर हंसने लगे और बोले “मैया मैं नहीं माखन खायो।” इस पर माता बोली कि अपनी मैया से ही झूठ बोलते हो कृष्णा।
कन्हैया की भोली-सी सूरत देखकर और उसकी प्यारी-सी बात सुनकर यशोदा ने कृष्ण को अपने गले लगा लिया और बोलने लगीं मेरा प्यारा नटखट माखन चोर। बस तभी से श्री कृष्ण को प्रेम से माखन चोर कहकर बुलाया जाने लगा। लीला प्रसंग के बाद ब्रज के सुप्रसिद्ध डांडिया रास को देख श्रद्धालु राधे राधे के जयकारे लगाते रहे। प्रसंग के बाद तुलसी चरित्र का मंचन भी किया गया।
तुलसी दास को किस प्रकार अपनी पत्नी रत्नावली से मिले तिरस्कार के बाद भक्ति की प्रेरणा जागी इसका वर्णन किया गया। राम भक्त तुलसी दास के समक्ष ठाकुर जी ने जब बांसुरी छोड़ धनुष धारण किया, इस प्रसंग को जैसे ही मंचित किया गया जय श्रीराम के जयघोष से प्रांगण गूंज उठा। गोपी गुरु, सुनील विकल, डॉ हरेंद्र गुप्ता, तारा चंद अग्रवाल, श्रीकृष्ण लीला समिति के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल, सीमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज गुप्ता, महामंत्री विजय रोहतगी, पीके मोदी, अनूप गोयल, संजय गर्ग, बृजेश अग्रवाल, मनोज बंसल, शेखर गोयल, देवकी, मुकेश गुप्ता, पवन अग्रवाल, के के अग्रवाल, के सी अग्रवाल, अशोक गोयल, विष्णु अग्रवाल, गिर्राज बंसल, अनीस अग्रवाल, आशीष रोहतगी, आदर्श नंदन आदि ने स्वरूपों की आरती उतारी।
कल होगा कंस वध और भव्य आतिशबाजी
श्रीकृष्ण लीला समिति के अध्यक्ष मनीष अग्रवाल ने बताया कि लीला मंचन में गुरुवार को अक्रूर गमन एवं कंस वध होगा। भव्य आतिशबाजी के साथ कंस को जलाया जाएगा। करीब एक घंटे तक आतिशबाजी होगी।
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