आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट: ऑटोमेटिक मोड में चलेंगी आगरा मेट्रो ट्रेनें, ये होंगी ट्रेन ऑपरेटर की जिम्मेदारियां

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आगरा। विश्व पर्यटन नगरी आगरा को सार्वजनिक यातायात का सबसे सुरक्षित एवं सुगम साधन प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा आगरा मेट्रो का संचालन ऑटोमेटिक मोड में किया जाएगा, जिसे एटीओ (ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड) भी कहा जाता है। मेट्रो संचालन के क्षेत्र में ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड सबसे सुरक्षित और कुशल तरीकों में से एक है। यूपी मेट्रो द्वारा एटीओ प्रणाली के जरिए सफलतापूर्वक लखनऊ एंव कानपुर मेट्रो का संचालन किया जा रहा है।

शहर में मेट्रो सेवा शुरू होने के बाद यात्री सेवाओं के दौरान ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड में आगरा मेट्रो का संचालन किया जाएगा। हालांकि यात्री सेवाओं के दौरान ट्रेन में हमेशा ट्रेन ऑपरेटर मौजूद रहेगा। एटीओ मोड में ट्रेन अपनी डिजाइन गति से चलेगी और एक बार स्टेशन पर पहुंचने के बाद, ट्रेन ऑपरेटर यात्रियों के सुरक्षित निकास के लिए बटन दबाकर गेट खोलगा व उस स्टेशन से ट्रेन से सवार होने वाले यात्रियों के सुरक्षित आगमन को सुनिश्चित करने के बाद गेट बंद करेगा। गेट बंद होने के बाद ट्रेन पुन: एटीओ मोड में अगले स्टेशन की ओर बढ़ेगी।

बता दें कि विश्वभर में संचालित मेट्रो सेवाओं को संचालन तकनीक के आधार पर विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाता है, जिसे ग्रेड ऑफ ऑटोमेशन (GoA) श्रेणी कहा जाता है। अत्याधुनिक एवं नवीनतम तकनीक से लैस आगरा मेट्रो ट्रेन ग्रेड ऑफ ऑटोमेशन 3 श्रेणी (GoA 3) की ट्रेन हैं। इस श्रेणी की ट्रेनें ऑटोमैटिक ट्रेन ऑपरेशन मोड में कम्युनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम के जरिए बिना ट्रेन ऑपरेटर के चल सकती हैं।

कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम का होगा प्रयोग

कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम (सीबीटीसी) मेट्रो संचालन हेतु प्रयोग किया जाने वाला उन्नत सिग्लिंग सिस्टम है। कम्यूनिकेशन बेस्ड ट्रेन कंट्रोल सिस्टम मेट्रो कॉरिडोर में यातायात प्रबंधन एवं बुनियादी ढांचे के नियंत्रण के लिए ट्रेन और ट्रैक उपकरण के बीच दूरसंचार का उपयोग करती है। सुशील कुमार ने बताया कि पारंपरिक सिग्नलिंग सिस्टम की तुलना में सीबीटीसी प्रणाली के जरिए ट्रेन की सटीक स्थिति पता चलती है।

बता दें कि सीबीटीसी प्रणाली में मेन लाइन पर चल रही ट्रेनों के बीच भी संचार होता है। मेन लाइन पर अप-डाउन लाइन पर चल रही प्रत्येक ट्रेन ट्रैक पर लगे उपकरण की मदद से ऑपरेशन कमांड सेंटर के संपर्क में रहती हैं। इसके साथ ही ट्रेन अपने आगे और पीछे चल रही ट्रेन को जानकारी देती है। इसी प्रक्रिया की मदद से मेन लाइन पर मेट्रो ट्रेनें एक दूसरे से उचित दूरी बनाकर रखती हैं।