आगरा: सुबह होते ही सूरज की तपिश अपना असर दिखा रही थी। जैसे-जैसे सूरज चढ़ रहा था, सूरज की तल्खी बढ़ती जा रही थी लेकिन ऐसे में भी सड़क पर पैदल पदयात्रियों का रैला आगे बढ़े जा रहा था। ‘चलो बुलावा आया है माता ने बुलाया है’ के जयकारे लग रहे थे। माथे पर लाल चुनारी बांधे छोटे-छोटे बच्चे अपने माता-पिता का हाथ थामे कदम से कदम मिलाकर चल रहे थे तो वहीं विकलांग अपनी प्राइस साइकिल से ही मां कैला देवी के दर्शन के लिए जाते हुए दिखाई दिए। यह नजारा पृथ्वीनाथ फाटक से जयपुर हाइवे का था। सड़क पर कैला देवी की जात को जाने वाले भक्तों की भीड़ उमड़ रही है। भक्तों में उत्साह था क्योंकि 2 साल बाद वह मां केला देवी के दर्शन हेतु पदयात्रा पर निकले थे।
बसोड़ा पूजन के बाद शुरू हुई पदयात्रा
होली के बाद बसोड़ा पूजन के बाद कैला देवी की यात्रा शुरू हो जाती है। आस्था की डगर पर बढ़ रहे हजारों कदमों से राह भी देवी के जयकारों से गूंज रही है। देवी के भक्त अपनी मां के दरबार में हाजिरी लगाने को राह पर निकल पड़े हैं। आगरा के कई भक्त ऐसे हैं, जो सालों से पदयात्रा करके माता के दरबार में हाजिरी लगा रहे हैं। पदयात्रा का सिलसिला आगरा और आसपास के जिलों से चैत्र नवरात्र से एक सप्ताह पहले से ही शुरू होता है। कुछ लोग परिवार और आसपास के लोगों के साथ पदयात्रा के लिए निकलते हैं, तो कोई अकेला ही मां के दर्शन के लिए निकला हैं।
2 साल बाद शुरू हुई है पदयात्रा
आपको बताते चलें कि पिछले 2 साल कोरोना संक्रमण के कारण पदयात्रा के आयोजन पर रोक लगा दी गई थी लेकिन कोरोना संक्रमण की रफ्तार कम होने के बाद पदयात्रा की शुरुआत हो गई है। नवरात्रों में करौली में भी मेले का आयोजन हो रहा है। 2 साल बाद पद यात्रा शुरू होने से भक्त भी काफी उत्साहित हैं। उनका कहना था कि वह प्रतिवर्ष पदयात्रा करते हुए करौली मां के दर्शन के लिए जाते थे लेकिन 2 साल वह कोरोना संक्रमण के चलते नहीं जा सके क्योंकि पद यात्रा पर रोक थी लेकिन इस बार वह पदयात्रा पर निकले हैं।
जगह-जगह भंडारे के आयोजन
करौली मैया के दर्शन के लिए जाने वाले पद यात्रियों और श्रद्धालुओं के लिए मां के भक्तों द्वारा जगह जगह खास इंतजाम किए जाते है जिससे भक्तों को इसी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े। जगह-जगह भंडारे का आयोजन होने से जलपान और विश्राम की व्यवस्थाएं हो जाती हैं तो वहीं मेडिकल कैंप भी लगाए जाते हैं। जिससे अगर किसी को थोड़ी भी स्वास्थ्य संबंधित समस्या हो तो उसका भी इलाज हो सके।
त्रिकूट पर्वत की गोद में हैं मां का दरबार
कैला देवी मंदिर राजस्थान के करौली जिले के कैला गांव में त्रिकूट पर्वत की गोद में बसा है। आगरा से इसकी दूरी करीब 185 किमी है। लाल भवन और मध्य में बने सफेद संगमरमर के भवन में यहां विराजमान हैं। मंदिर शिल्प- स्थापत्य का खास नमूना है। कैला देवी के दर्शनों को वैसे पूरी साल श्रद्धालु जाते हैं, लेकिन चैत्र और आश्विन माह में यहां लाखों भक्त पहुंचते हैं।
करौली मां के दर्शन के लिए पैदल लेने के लिए श्रद्धालुओं का कहना है कि कैला मैया का बुलावा इस बार आया है इसीलिए वह मैया के दर्शन के लिए जा रहे हैं। बिना मैया के बुलावे के कोई भी उनके दर्शन नहीं कर पाता। इस बार मैया का बुलावा आया है तो परिवार सहित पदयात्रा करते हुए मैया के दर्शन के लिए निकले हैं।