आगरा: पर्यावरण क्लीयरेन्स पर एअरपोर्ट अथॉरिटी की बड़ी लापरवाही, RTI में खुलासा

Press Release

उपलब्ध करायी गयी सूचना के अनुसार आगरा के नये टर्मिनल की बिल्डिंग के निर्माण के लिए दिनांक 31 मई 2018 को निविदाऐं आमंत्रित की गयीं थीं जिसके क्रम में 4 एजेन्सियों के द्वारा एन0आई0सी0 पोर्टल पर निविदाऐं दी गईं जिसमें सबसे कम मूल्य के निविदादाता टाटा प्रोजेक्टस लि0 थे लेकिन उनकी निविदा को दिनांक 28 अगस्त 2020 को इस आधार पर निरस्त कर दिया गया कि एअरपोर्ट अथॉरिटी को पर्यावरणींय स्वीकृति नहीं मिली थी और निविदादाता टाटा प्रोजेक्स लि0 ने अपनी निविदा की समयावधि को भी नहीं बढ़ाया था।

उपलब्ध करायी गयी सूचना के आधार पर अधिवक्ता जैन द्वारा यह प्रश्न उठाया गया कि जब सुप्रीम कोर्ट के द्वारा 11 दिसम्बर 2019 को रिट याचिका सं0 13381/1984 में आई0ए0 सं0 160194 वर्ष 2018 से नये टर्मिनल की बिल्डिंग बनाने की अनुमति प्रदान कर दी थी तो एअरपोर्ट अथॉरिटी द्वारा 28 अगस्त 2020 को टाटा प्रोजेक्ट्स लि0 की निविदा को निरस्त क्यों किया गया? यही नहीं, जब पर्यावरण मंत्रालय ने पर्यावरणींय स्वीकृति का प्रार्थना-पत्र 08 मई 2020 को डीलिस्ट कर दिया उसके बाद एअरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा पुनः पर्यावरणींय स्वीकृति के लिए 2 वर्ष की अवधि व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी कोई प्रार्थना पत्र क्यों नहीं लगाया गया है।

उत्तर प्रदेश शासन द्वारा ग्राम धनौली, अभयपुरा और बल्हेरा लगभग 20 हैक्टेयर भूमि बाजार मूल्य का 4 गुना कीमत देकर लगभग 253 करोड़ रू0 में अर्जित की गयी है और उसे एअरपोर्ट अथॉरिटी को ही दे दिया गया है जिसके द्वारा बाउण्ड्री वॉल अधिकांशतः बन गयी है इतनी बड़ी धनराशि से अर्जित की गयी भूमि अनुपयोगी पड़ी है जिसके कारण प्रतिदिन आर्थिक हानि हो रही है। एअरपोर्ट अथॉरिटी को नये टर्मिनल के लिए पुनः निविदाऐं आमंत्रित कर निर्माण कार्य प्रारम्भ करना चाहिए। जहां तक सुप्रीम कोर्ट में एअरपोर्ट अथॉरिटी के द्वारा फ्लाइटों की संख्या बढ़ाने के लिए लगाये गये प्रार्थना पत्र का प्रश्न है वह समय रहते स्वीकृत हो जायेगा क्योंकि दुनियां में किसी भी एअरपोर्ट पर फ्लाईटों की संख्या पर किसी प्रकार का कोई प्रतिबन्ध नहीं है। नीरी द्वारा भी अपनी संस्तुति दे दी गयी है। सुप्रीम कोर्ट भी निश्चित रूप से फ्लाईटों की संख्या पर लगाये गये प्रतिबन्ध को शिथिल कर देगा। 30,000 वर्गमीटर क्षेत्र का सिविल टर्मीनल भवन पर्यटन उद्योग के लिए एक नयी सुखद सुविधा होगी जो एअरफोर्स के प्रतिबन्धों से मुक्त होगी।

आगरा डेवलपमेन्ट फाउण्डेशन के अध्यक्ष पूरन डाबर के द्वारा भी क्षोभ प्रकट करते हुए कहा कि जो निविदा टर्मीनल बिल्डिंग के निर्माण के लिए मई 2018 में 398 करोड़ रूपये की आयी थी, वह निविदा यदि अब आमंत्रित की जाये तो 4 साल के अन्तराल में हुई मूल्यों में वृद्धि को देखते हुए कम से कम 20 प्रतिशत अधिक आयेगी जिससे एअरपोर्ट अथॉरिटी को भी अनुमानतः 80 करोड़ का नुकसान होगा। यही नहीं नयी टर्मिनल न बनने के कारण जो नुकसान उद्योगों और पर्यटन का हो रहा है वह तो अलग है। राज्य सरकार द्वारा भूमि अर्जन में विनियोजित बड़ी राशि शहर के लिए लाभप्रद हो।