प्रतिबंध के बाद अब PFI के ट्विटर अकाउंट पर भी रोक लगी

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पीएफ़आई के ट्विटर प्रोफ़ाइल पर लिखा है, “इस अकाउंट पर क़ानूनी मांग के तहत रोक लगा दी गई है.’’ सरकार ने पीएफ़आई पर ‘गुप्त एजेंडा चलाकर एक वर्ग विशेष को कट्टर बनाने’ और ‘आतंकवादी संगठनों से जुड़े होने’ की बात कही है.

केंद्र सरकार ने ग़ैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 की धारा 3 की उप-धारा (1) के तहत पीएफ़आई, उससे जुड़े संगठन और संस्थाओं को पांच साल के लिए प्रतिबंधित किया है.

पीएफ़आई पर आरोप क्या हैं?

केंद्र सरकार ने जारी अधिसूचना में कहा है कि पीएफ़आई के ‘आतंकवादी संगठनों’ के साथ लिंक है.

पीएफ़आई के साथ-साथ इसके सहयोगी संगठन व संस्थाओं पर भी पांच साल का प्रतिबंध लगाया गया है. इनमें- रिहैब इंडिया फाउंडेशन (आरआईएफ), कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (सीएफआई), ऑल इंडिया इमाम काउंसिल (एआईआईसी), नेशनल कॉन्फेडरेशन ऑफ ह्यूमन राइट्स ऑर्गनाइजेशन (एनसीएचआरओ), नेशनल वुमन फ्रंट, जूनियर फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन और रिहैब फाउंडेशन, केरल का नाम शामिल है.

पिछले दिनों राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (एनआईए) और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने पॉपुलर फ़्रंट ऑफ़ इंडिया यानी पीएफ़आई के अलग-अलग राज्यों में मौजूद ठिकानों पर कई दिनों तक छापेमारी की थी. संगठन के महासचिव अनीस अहमद सहित बड़ी संख्या में लोगों की गिरफ़्तारी भी हुई थी.

बैन से कैसे बच गई एसडीपीआई

पीएफ़आई की राजनीतिक शाखा है एसडीपीआई. बुधवार को पीएफ़आई और उससे जुड़े संगठनों को बैन कर दिया गया. मगर एसडीपीआई का नाम उसमें नहीं था. इसकी चर्चा गुरुवार को छपे अख़बारों में है.

पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफ़आई) और उसकी 8 सहयोगी संस्थाओं पर केंद्र सरकार द्वारा प्रतिबंध लगाए जाने के बाद उसकी राजनीतिक इकाई ‘सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया’ (एसडीपीआई) ने कहा है कि उस पर ताज़ा प्रतिबंध का कोई असर नहीं पड़ेगा.
एसडीपीआई ने यह भी दावा किया है कि वह एक स्वतंत्र संस्था है और पीएफ़आई से उसका कोई लेना देना नहीं है.

-एजेंसी