कैलिफोर्निया में मुलाक़ात बाद बाइडन ने जिनपिंग को फिर बताया ‘तानाशाह’

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बाइडन ने कहा, “वो इस अर्थ में तानाशाह हैं कि वो ऐसे देश की सत्ता संभालते हैं जो एक कम्युनिस्ट देश है, जो सरकार के एक ऐसे स्वरूप पर आधारित है जो हमसे पूरी तरह अलग है.”

इससे पहले जून 2023 में बाइडन ने शी जिनपिंग को तानाशाह कहकर हंगामा मचा दिया था. उनके इस बयान के बाद चीन ने उस टिप्पणी को ‘बहुत बेतुका और गैर-ज़िम्मेदाराना’ करार दिया था.

कैलिफोर्निया में मिले अमेरिका और चीन के राष्ट्रपति

इससे पहले कैलिफोर्निया के सैन फ्रांसिस्को के ऐतिहासिक फिलोली एस्टेट में बुधवार को अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन और चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग की एक अहम मुलाक़ात हुई.

एशिया-प्रशांत आर्थिक सहयोग (एपेक) शिखर सम्मेलन के अवसर पर दोनों देशों के प्रमुखों के बीच हुई यह बातचीत इसलिए महत्वपूर्ण मानी जा रही है कि इसके ज़रिए पिछले कई महीनों से जारी तनाव कम किया जा सकता है.
इस शिखर सम्मेलन के बाद लगभग 20 मिनट तक चले एक प्रेस कॉन्फ्रेन्स में अमेरिकी राष्ट्रपति बाइडन ने कई बातें कही हैं.

उन्होंने बताया कि अमेरिका और चीन के बीच मिलिट्री कम्युनिकेशन फिर से बहाल होंगे. उन्होंने यह भी कहा कि वो और शी जिनपिंग संचार के और सीधे रास्ते बनाए रखेंगे.
साथ ही बताया कि दोनों देशों ने अमेरिका में फेंटेनाइल उत्पादों के प्रवाह से निपटने के प्रयास फिर से शुरू कर दिए हैं.

इस मुलाक़ात में यूक्रेन और पश्चिम एशिया में चल रहे युद्ध पर भी बातचीत हुई. बाइडन ने इन मसलों पर उठे सवालों के जवाब दिए हैं.

वैसे दोनों देशों के इस सम्मेलन की शुरुआत जो बाइडन ने यह कह कर की कि दोनों देशों के बीच की ‘प्रतिस्पर्धा’ को ‘संघर्ष में नहीं बदलना चाहिए’.

उन्होंने कहा, “मैं इस बातचीत को महत्व देता हूं क्योंकि मुझे लगता है कि यह सबसे ज़रूरी है कि मैं और आप बिना ग़लतफ़हमी के एक-दूसरे को अच्छे से समझें.”
वहीं शी जिनपिंग ने कहा कि एक-दूसरे से मुंह मोड़ना कोई विकल्प नहीं है.

उन्होंने कहा, “दोनों देशों की सफलता के लिए यह दुनिया काफी बड़ी है और एक देश की सफलता दूसरे देश के लिए एक अवसर है. दोनों देशों के लिए टकराव के कई असहनीय नतीज़े होते हैं.”

क्यों बिगड़े दोनों देशों के रिश्ते

इन दोनों देशों के संबंध फरवरी में और बिगड़ गए जब अमेरिका में चीन के एक संदिग्ध गुब्बारे को मार गिराया गया. अमेरिका ने दावा किया कि यह जासूसी करने वाला गुब्बारा था.

उससे अगस्त 2022 में अमेरिकी प्रतिनिधि सभा की तत्कालीन स्पीकर नैन्सी पेलोसी की ताइवान यात्रा का भी दोनों देशों के रिश्तों पर बुरा असर पड़ा. उस दौरे से नाराज़ चीन ने अमेरिका के साथ मिलिट्री कम्युनिकेशन बंद कर दिया था.

दोनों देशों के बीच दक्षिण चीन सागर में सेना की गतिविधि, इसराइल-हमास युद्ध, ताइवान, यूक्रेन युद्ध और अमेरिकी चुनाव में चीन के कथित हस्तक्षेप जैसे कई मसलों पर गहरे मतभेद हैं.

Compiled: up18 News