गले तब डूबा अमेरिका, पहली बार 34 ट्रिलियन डॉलर के पार पहुंचा कर्ज

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माना जा रहा है कि अगले कुछ साल में अमेरिका का डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 200 परसेंट तक पहुंच सकता है। यानी देश का कर्ज उसकी इकॉनमी से दोगुना पहुंच जाएगा। ऐसी स्थिति में कर्ज चुकाते-चुकाते ही अमेरिका की इकॉनमी का दम निकल जाएगा। अगले दस साल के भीतर अमेरिका की फेडरल गवर्नमेंट को रिसर्च एंड डेवलपमेंट, इन्फ्रास्ट्रक्चर और शिक्षा पर होने वाले कुछ खर्च से ज्यादा पैसा ब्याज चुकाने में देना होगा। सबसे बड़ी चिंता यह है कि देश का कर्ज ऐसे वक्त में बढ़ रहा है जब इकॉनमी अच्छी स्थिति में है और बेरोजगारी कम है। अमूमन जब इकॉनमी कमजोर होती है तो सरकार खर्च बढ़ाती है ताकि ग्रोथ को हवा दी जा सके।

शटडाउन का खतरा

कर्ज को लेकर अक्सर रिपलिकन्स और डेमोक्रेट्स में विवाद रहता है। लेकिन सच्चाई यह है कि दोनों दलों के कार्यकाल में देश में कर्ज बढ़ा है। देश की क्रेडिट रेटिंग पर इसका असर दिखना शुरू हो गया है। फिच ने अमेरिका के सॉवरेन डेट की रेटिंग अगस्त में AA+ से घटाकर AAA कर दी थी। नवंबर में मूडीज ने चेतावनी दी थी कि वह अमेरिका की AAA में कटौती कर सकता है। जून में अमेरिका डिफॉल्ट की दहलीज पर पहुंच गया था और एक बार फिर यह स्थिति बन रही है। फिस्कल ईयर 2023 में नेट इंटरेस्ट कॉस्ट में पिछले साल के मुकाबले 39 परसेंट तेजी आई है जबकि 2020 के मुकाबले यह दोगुना हो चुकी है।

दुनिया में सबसे ज्यादा डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 269 परसेंट जापान में है। इस देश पर जीडीपी से ढाई गुना ज्यादा कर्ज है। इसकी वजह यह है कि जापान में बुजुर्गों की आबादी ज्यादा है और इस कारण उसकी सोशल वेलफेयर लागत ज्यादा है। दूसरे नंबर पर यूरोपीय देश ग्रीस है। इसका डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 197 परसेंट है। इसके बाद सिंगापुर (165%) और इटली (135%) का नंबर है। पुर्तगाल, फ्रांस, स्पेन और बेल्जियम उन देशों में शामिल हैं जिनका डेट-टु-जीडीपी रेश्यो 100 परसेंट से अधिक है। यानी इन देशों का कर्ज उनके जीडीपी से अधिक है।

-एजेंसी


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