यूपी की राजधानी लखनऊ के हर एंट्री पॉइंट से जुड़ेगा 60 किमी का प्रस्तावित इंटरलिंक एक्सप्रेस-वे

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प्रस्ताव के अनुसार लखनऊ में चार इंटरचेंज लखनऊ-मोहान रोड, लखनऊ-कानपुर-झांसी रोड, लखनऊ-प्रयागराज रोड और लखनऊ-सुल्तानपुर रोड पर बनाए जाएंगे। इसके अलावा दो ओवरब्रिज का भी प्रस्ताव है।

इसके लिए 1400 करोड़ रुपये से 700 हेक्टेअर जमीन का अधिग्रहण किया जाएगा, जबकि इंटरलिंक एक्सप्रेस-वे का पूरा प्रॉजक्ट लगभग 4500 करोड़ रुपये का है। यह ग्रीनफील्ड एक्सेस कंट्रोल्ड एक्सप्रेस-वे होगा, जो यूपी के सभी एक्सप्रेस-वे मसलन बुंदेलखंड, गंगा, गोरखपुर लिंक और यमुना एक्सप्रेस-वे से भी जुड़ेगा। यह 6 लेन का होगा, जिसे 8 लेन तक विस्तारित किया जा सकेगा।

अगले साल शुरू होगा ज़मीन अधिग्रहण

प्रॉजेक्ट का डीपीआर बनाने के लिए कंसल्टेंट चयन की प्रक्रिया यूपीडा ने शुरू कर दी है। इसके लिए प्री बिड मीटिंग एक दिसंबर को होगी और 26 दिसंबर को बिड खुलेगी।

क्यों ज़रूरी है इंटरलिंक एक्सप्रेस-वे

आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे पर हर दिन लगभग 27 हजार वाहन गुजरते हैं, जिनमें 9500 भारी वाहन होते हैं। पूर्वांचल एक्सप्रेस-वे पर औसतन 11 हजार वाहन रोज गुजरते हैं, जिनमें करीब 3500 भारी वाहन होते हैं। इनमें से आधे वाहन आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे से उतरकर पूर्वांचल या पूर्वांचल से उतरकर लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर जाते हैं। आगे यह संख्या और बढ़ने का अनुमान है।

शहर के बीच से गुजरने वाले इस ट्रैफिक को सुगम कनेक्टविटी उपलब्ध करवाने के लिए इंटरलिंक एक्सप्रेस-वे प्रस्तावित किया गया है। इससे दिल्ली से लेकर गोरखपुर और बक्सर तक और प्रयागराज से आगरा तक की यात्रा का समय कम होगा और शहर के बीच में भी कम जाम लगेगा। एक्सप्रसेवेज पर औद्योगिक हब व कॉरिडोर भी विकसित किए जाने हैं, उनके लिए भी कनेक्टविटी बेहतर हो सकेगी।

Compiled: up18 News