आगरा फोर्ट मेट्रो स्टेशन पर डायफ्राम वॉल के निर्माण का 50 प्रतिशत काम हुआ पूरा

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आगरा। उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा आगरा फोर्ट मेट्रो स्टेशन पर डायफ्राम वॉल के निर्माण का काम 50 प्रतिशत पूर्ण हो गया है। प्रायॉरिटी कॉरिडोर के भूमिगत मेट्रो स्टेशन आगरा फोर्ट पर तेज गति के साथ स्टेशन निर्माण हेतु डायफ्राम वॉल की कास्टिंग का काम किया जा रहा है। आगरा फोर्ट मेट्रो स्टेशन पर अबतक लगभग 192 मीटर का निर्माण किया जा चुका है।

यूपी मेट्रो के कार्यवाहक प्रबंध निदेशक सुशील कुमार ने बताया कि आगरा मेट्रो के सभी भूमिगत मेट्रो स्टेशनों का निर्माण टॉप डाउन प्रणाली के तहत किया जा रहा है। सुशील कुमार ने बताया कि टॉप डाउन प्रणाली में पहले स्टेशन के ग्राउंड लेवल की छत का निर्माण किया जाता है, इसके बाद कॉन्कोर्स लेवल एवं उसके बाद प्लेटफॉर्म लेवल का निर्माण किया जाता है। इस प्रणाली में छत की कास्टिंग के लिए शटरिंग का प्रयोग नहीं किया जाता बल्कि भूमि को समतल कर शटरिंग की तरह प्रयोग किया जाता है।

कैसे होता है भूमिगत स्टेशन का निर्माण

भूमिगत स्टेशन के निर्माण के लिए सबसे पहले स्टेशन परिसर हेतु चिन्हित भूमि पर अलग-अलग जगहों से बोरिंग कर मिट्टी के नमूने लिए जाते है। इन नमूनों की जांच के बाद स्टेशन बॉक्स (स्टेशन परिसर का कुल क्षेत्रफल) की मार्किंग की जाती है। इसके बाद स्टेशन परिसर की डॉयफ्राम वाल (बाउंड्री वॉल) के निर्माण के लिए गाइडवॉल बनाई जाती है। गाइड वॉल का प्रयोग डी वॉल को सही दिशा देने के लिए किया जाता है, डी वॉल के निर्माण के बाद इसे हटा दिया जाता है।

गाइड वॉल के निर्माण के बाद एक खास मशीन से डी वॉल की खुदाई की जाती है। खुदाई पूरी होने का बाद उस जगह में सरियों का जाल (केज) का डाला जाता। इसके बाद कॉन्क्रीट डाल कर डायफ्राम वॉल का निर्माण किया जाता है। टॉप डाउन प्रणाली के तहत एक बार जब स्टेशन परिसर की डायफ्राम वाल का निर्माण पूरा हो जाता है, तो फिर ऊपर से नीचे की ओर निर्माण कार्य प्रारंभ होते हैं।

टॉप डाउन प्रणाली में सबसे पहले ग्राउंड लेवल पर भूमि को समतल कर कॉन्कोर्स की छत का निर्माण किया जाता है। इस दौरान ग्राउंड लेवल की स्लैब में कई जगहों पर खुला छोड़ा जाता है। जब प्रथम तल (कॉन्कोर्स) की छत बनकर तैयार हो जाती है, तो खाली जगहों से मशीनों के जरिए मिट्टी की खुदाई शुरू की जाती है। इसके बाद कॉन्कोर्स तल की खुदाई पूरी हो जाने पर फिर मिट्टी को समतल कर प्लेटफॉर्म लेवल की छत का निर्माण किया जाता है। इस स्लैब में भी कुछ खाली जगह छोड़ी जाती हैं, जहां से फिर मशीनों के जरिए प्लेटफॉर्म लेवल की खुदाई कर स्टेशन परिसर का निर्माण किया जाता है।

गौरतलब है कि ताजनगरी में 29.4 किमी लंबे दो कॉरिडोर का मेट्रो नेटवर्क बनना है, जिसमें 27 स्टेशन होंगे। ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच 14 किमी लंबे पहले कॉरिडोर का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। इस कॉरिडोर में 13 स्टेशनों का निर्माण होगा। जिसमें 6 एलीवेटिड जबकि 7 भूमिगत स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए पीएसी परिसर में डिपो का निर्माण किया जा रहा है। इसके साथ ही आगरा कैंट से कालिंदी विहार के बीच लगभग 16 कि.मी. लंबे दूसरे कॉरिडोर का निर्माण किया जाएगा, जिसमें 14 ऐलीवेटेड स्टेशन होंगे। इस कॉरिडोर के लिए कालिंदी विहार क्षेत्र में डिपो का निर्माण किया जाएगा।