मथुरा: श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान में गोपाष्‍टमी के अवसर पर गौवंश पूजन कार्यक्रम का हुआ आयोजन

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मथुरा। आज श्रीकृष्‍ण जन्‍मस्‍थान पर‍िसर में गोपाष्‍टमी के अवसर पर गौवंश पूजन कार्यक्रम हुआ। गोपाष्‍टमी अर्थात यशोदानन्दन भगवान श्रीकृष्‍ण का वह दिन जब उन्होंने प्रथम गौचारण हेतु प्रस्थान किया।

इस अवसर पर आज बृहस्पतिवार को श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान परिसर में विराजमान श्रीकेशवदेवजी के प्रांगण ने जैसे गौचारण-अभयारण्य का साक्षात स्वरूप ही गृहण कर लिया।

यमुना पुलिन में गऊओं के पीछे हाथ में लकुटी लिये ग्वालबालों संग बालकृष्‍ण का स्वरूप व वृक्षावलियों की सज्जा द्वापर के उस अलौकिक दृश्‍य को साक्षात कर रही थी, जिसके दर्शन हेतु भक्तों की अपार भीड़ का तांता श्रीकृष्‍ण-जन्मस्थान पर प्रातःकाल से प्रारंभ होकर मंदिर के पट बन्द होने तक निरन्तर चलता रहा।

दूसरी ओर संस्थान द्वारा परिसर में ही संचालित गौशाला में प्रातः 11 बजे से गौ-पूजन का जो क्रम आरंभ हुआ वह अपरान्ह तक निरन्तर चलता रहा।

इस अवसर पर गौशाला परिसर को गोबर से लीप कर गऊओं को स्नान उपरांत उनके सींगों पर सुगंधित तेल का लेपन एवं मेंहदी लगाकर श्रृंगार किया गया। गौमाता का पूजन पूजाचार्यो द्वारा संपन्न कराया गया, पूजन के उपरान्त सभी गऊओं, गौवंशों को चने की दाल व गुड़ का भोग अर्पित कर सभी गौसेवकों को वस्त्रादि भेंट किये गये।

गोपाष्‍टमी की महत्ता पर प्रकाश डालते हुये संस्थान की प्रबंध समिति के सदस्य श्री गोपेश्‍वरनाथ चतुर्वेदी ने बताया कि गोपाष्‍टमी के दिन ही भगवान कृष्‍ण द्वारा प्रथम गौचारण लीला किये जाने से ब्रज के लिये यह गौ-महोत्सव का दिन है। गौ की वर्तमान दशा पर खेद व्यक्त करते हुये श्री चतुर्वेदी ने कहा कि प्रत्येक ब्रजवासी को गोपाष्‍टमी के दिन एक गाय की रक्षा व पालन का संकल्प लेने से ब्रजमण्डल में संपूर्ण गौरक्षा की कल्पना की जा सकती है। भारत सरकार को भी कानून बनाकर संपूर्ण देश में गौवंश की हत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगाना चाहिए।

संस्थान के संयुक्त मुख्य अधिशाषी अध‍िकारी राजीव श्रीवास्तव ने संस्थान द्वारा संचालित गौसेवा-प्रकल्प की उपलब्धियों व सेवा कार्यो पर प्रकाश डालते हुये गौसेवा के और अधिक व्यापक किये जाने की योजनाओं की जानकारी दी।

पूजन कार्यक्रम में संस्थान सदस्य गोपेश्‍वरनाथ चतुर्वेदी, सं. मुख्य अधिषाशी राजीव श्रीवास्तव, गिर्राज शरण गौतम, नारायन राय, भगवान स्वरूप वर्मा, अनुराग पाठक, मंदिर पूजाचार्य एवं गौपालक आदि उपस्थित रहे।