बदरीनाथ धाम में पंच पूजा के साथ कपाट बंद होने की प्रक्रिया शुरू

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श्री बदरीनाथ धाम/उखीमठ। उत्तराखंड में विश्व प्रसिद्ध श्री बदरीनाथ धाम के कपाट बंद होने की प्रक्रिया मंगलवार से पंच पूजा के साथ शुरू हो गई। भगवान बदरी विशाल के अभिषेक के बाद मंदिर परिसर में स्थित गणेश मंदिर को विधि-विधान से पूजा-अर्चना के साथ शीतकाल में छह माह के लिए बंद कर दिया गया। इसके बाद 20 नवंबर को बदरीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद कर दिए जाएंगे।

मंगलवार को सुबह पांच बजे से बदरीनाथ धाम की महाभिषेक पूजा शुरू हुई। बदरीनाथ धाम की विभिन्न पूजाएं संपन्न होने के बाद बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वर प्रसाद नंबूदरी और धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल ने वेदपाठियों की मौजूदगी में विधि-विधान से हनुमान मंदिर के समीप स्थित भगवान गणेश मंदिर में पूजा-अर्चना की।

कल 17 नवंबर श्री आदि केदारेश्वर जी के कपाट बंद हो जाएंगे, 18 नवंबर को खडग पुस्तक पूजन होगा। इस दिन से वेद ऋचाओं का पाठ बंद हो जाएगा, इसके बाद 19 नवंबर को मां लक्ष्मी जी की पूजा एवं आह्वान होगा। 20 नवंबर को शाम छह बजकर 45 मिनट पर श्री बदरीनाथ मंदिर के कपाट शीतकाल के लिये बंद हो जायेंगे।

कपाट बंद होने के बाद 21 नवंबर को प्रात: आदि गुरु शंकराचार्य जी की पवित्र गद्दी रावल जी सहित श्री उद्धव जी, श्री कुबेर जी योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर पहुंचेंगे। श्री उद्धव जी एवं श्री कुबेर जी योग-ध्यान बदरी पांडुकेश्वर में विराजमान हो जायेंगे। उन्होंने कहा 22 नवंबर को आदि गुरु शंकराचार्य जी की गद्दी एवं रावल जी श्री नृसिंह मंदिर जोशीमठ पहुंचेगे। योग बदरी पांडुकेश्वर एवं श्री नृसिंह बदरी जोशीमठ में शीतकालीन पूजाएं शुरू हो जायेंगी।

उत्तराखंड चार धाम श्री बदरीनाथ, श्री केदारनाथ, श्री गंगोत्री, श्री यमुनोत्री में कपाट बंद होने के बाद शीतकालीन गद्दी स्थलों में छह माह शीतकालीन पूजाएं होती हैं। श्री केदारनाथ धाम सहित श्री गंगोत्री-यमुनोत्री जी के कपाट शीतकाल हेतु बंद हो गये है। द्वितीय केदार श्री मद्महेश्वर जी के कपाट 22 नवंबर को शीतकाल हेतु बंद होंगे।

-एजेंसी