आगरा: गुरु नानक देव जी के 552वें प्रकाश पर्व पर गुरुद्वारों में हुई मनोहारी साज सज्जा, बही कीर्तन और कथा की प्रबल धारा

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आगरा सिक्खों के प्रथम गुरु गुरु नानक देव जी जिनके 552 वें प्रकाश पर्व पर जहां आगरा की गुरु नानक लेवा संगत ने अपने आवासों की विद्युत साज सज्जा की। वहीं दूसरी ओर गुरुद्वारों को मनोहारी साज सज्जा के साथ कीर्तन और कथा की प्रबल धारा बही। सुबह के दीवान में गुरु नानक देव जी के ऐतिहासिक स्थान लोहा मंडी, शाहगंज, मधुनगर, शहीद नगर एवं गुरूद्वारा नोर्थ ईदगाह पर आयोजित हुआ।

यहां के दीवान पर वीर महेंद्र पाल सिंह ने धन धन हमारे भाग घर आया पिर मेरा का गायन कर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया उसके पश्चात उन्होंने “कल तारण गुरु नानक आया सुनी पुकार दातार प्रभ” अर्थात नानक देव जी के आगमन से पूर्व इस संसार में हाहाकार मची थी। धर्म को लेकर एक दूसरे पर जुल्म किए जाते थे, इंसानियत, आपसी प्यार, भाईचारा, मानवता जैसे कलंकित हो चुकी थी ऐसे भयानक समय में निरंकार रूप गुरु नानक पातशाह जी का आगमन हुआ, जिन्होंने ऊंच-नीच के भिन्न भेद मिटा के सभी धर्म के लोगों को एक प्रभु से जोड़ा प्रमुख सरदार हरजीत सिंह प्रिंस जी ने सभी का धन्यवाद किया।

सुबह का मुख्य आयोजन केंद्रीय संस्था श्री गुरु सिंह सभा माईथान के तत्वावधान में गुरूद्वारा माईथान पर हुआ। जहां दरबार साहिब से पधारे हजूरी रागी भाई जगदीप सिंह जी ने तिन वेदिया दी प्रगटे कुल वेसे नानक का शब्द गायन करते हुए कहा कि उस समय संसार में राजा जबरदस्ती कर रहे थे। न्याय नाम की चीज नहीं थी, अन्याय के कारण हाहाकार मचा हुआ था और परमात्मा ने हमारी मदद के लिए गुरु नानक देव जी को भेजा, जिन्होंने उस समय की जाति पाती के भेदभाव और कर्म कांड पर प्रहार किया। उससे पूर्व भाई मेजर सिंह, भाई बृजेन्द्र सिंह एवं स्त्री संत संघ द्वारा गुरुवाणी का गायन कर संगत का मन मोह लिया।

ज्ञानी कुलविन्दर सिंह जी ने सरबत के भले की अरदास की। प्रधान कंवलदीप सिंह,पाली सेठी,समन्वयक बंटी ग्रोवर, परमात्मा सिंह, वात्सल्य उपाध्याय, कुलविन्दर सिंह आहलूवालिया, हरमिन्दर सिंह, जस्सी आदि की उपस्थित रही।शाम को दीवान सदर गुरुद्वारे पर शाम को दीवान 7.30 बजे से 9.30 बजे तक आयोजित रहा, जिसमें विशेष रूप से प्रधान रमन साहनी, बंटी ओबरॉय, बबलू अरशी आदि का सहयोग रहा।

गुरूद्वारा गुरु के ताल पर सुबह से ही भक्तों का तांता लगा हुआ था जो कतारबद्ध होकर शीश झुका रहे थे। साथ ही लंगर ग्रहण कर रहे थे । गुरूद्वारा परिसर को नयनाभिराम एवं मनोहारी विद्युत सज्जा की हुई थी, जिसे अपलक हटाने का मन नहीं कर रहा था। अलीगढ के आतिशबाज द्वारा प्रदूषण रहित आतिशबाजी की गई मौजूदा मुखी संत बाबा प्रीतम सिंह जी द्वारा सारी व्यवस्था को नियंत्रित किया गया।

मीडिया प्रभारी मास्टर गुरनाम सिंह ने बताया कि इस बार आतिशबाजी प्रदूषण की बजह से बहुत कम और प्रदूषण रहित की गई। लंगर बाटने की सेवा सितारगंज से आए भाई मंझ सेवा दारों ने की। साथ ही पंजाब और सबाजपुर से भी आए जत्थे ने सेवा सम्भाली कीर्तन दरबार गुरुद्वार मंजी साहिब में हजूरी रागी भाई हरजीत सिंह एवं भाई जगतार सिंह ने गुरुवाणी का गायन किया और ज्ञानी केवल सिंह ने गुरु के इतिहास को बताया।

ये रहे मौजूद

जत्थेदार अमरीक सिंह, जत्थेदार सतनाम सिंह, जत्थेदार महंत महेन्दर सिंह ,अजैब सिंह टीटू, हरनाम सिंह ,हरबस सिंह, सतवीर सिंह महंत हरपाल सिंह आदि मौजूद रहे।