योगीजी का माफिया किंग बृजेश सिंह से प्यार, रॉबिन हुड मुख्तार अंसारी से रार..!

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मुख्तार के आर्थिक साम्राज्य पर बुलडोजर चढ़ाई,स्वजातीयों पर नहीं कोई कार्यवाही

सफेदपोश अपराधियों माफियाओं पर कार्यवाही उचित,मगर जाति धर्म के अनुसार भेदभाव क्यों ?

-अमित मौर्या-

वाराणसी। यूपी की सियासत में “मनी मैनेज माफ़िया” का दखल लम्बे समय से चलता आ रहा है। इसका कारण यह देखा गया है कि चुनाव के वक्त कई इलाकों में राजनीतिक दलों द्वारा माफियाओं का सहयोग लेना। और उनके धनबल बाहुबल का इस्तेमाल करने के लिए ऐसे दागी छवि के लोगों को टिकट देना होता है।

कमोबेश सभी राजनितिक दलों में दाग़दार छवि के जनप्रतिनिधियों की भरमार देखी जा सकती है।जिन पर विभिन्न धाराओं के तहत संगीन मुकदमों की फेरहिस्त है। मगर वह माफिया से माननीय बनकर अपने झक सफेद कपड़े के पीछे से अपना काला साम्राज्य चला रहे हैं। अगर बात यूपी के माफ़िया से माननीय बने कुछ खास लोगों कि बात करें तो बाहुबली हरिशंकर तिवारी के साथ शुरू हुआ यह सफ़र अपराध से राजनीति के रास्ते पर कई और लोगों के ले आया। जिनमें गाजीपुर में दबंगई का रास्ता चुनकर अपराध और गैंगवार तक पहुंचे मुख्तार अंसारी और उनके धुरविरोधी बृजेश सिंह भी हैं। कभी माथे पर माफिया का ठप्पा लेकर चलने वाले मुख्तार अंसारी बृजेश सिंह दोनों माननीय का लबादा ओढ़ चुके हैं। मुख्तार अंसारी जहां लम्बे समय से अपने भाइयों के साथ पूर्वांचल की राजनीति में पैठ रसूख बनाते गयें। वहीं बृजेश सिंह के भाई स्व.चुलबुल सिंह उनके बाहुबली भतीजे सुशील सिंह भी स्थापित हो चुके थें। बृजेश सिंह की पत्नी अन्नपूर्णा सिंह भी यूपी की राजनीति में कदम रखीं उनके पीछे-पीछे जेल से ही बृजेश सिंह माफिया से माननीय बन गयें। दोनों माफिया से माननीय बनकर जेल से खेल करते आ रहे हैं।

जरायम की दुनिया की काली कमाई से अपनी सल्तनत का विस्तार करते जा रहे थें। अब तक इनकी अदावत भी अंदरखाने की खबरों के अनुसार लगभग खत्म सी हो गई थी। मगर तभी एक ऐसे राजनितिज्ञ के हाथ में सत्ता की कुंजी आ गयी जिन्होंने मुख्तार अंसारी खेमे में खलबली मचा दिया। और बृजेश सिंह के तरफ से मुंह घुमा लिया ! नाम है योगी आदित्यनाथ।

वर्ष 2017 में यूपी के मुख्यमंत्री की गद्दी सम्भालने के बाद से ही योगी आदित्यनाथ ने गुंडों माफियाओं के खिलाफ अभियान चलाया जिसमें कई अपराधियों को हलाक कर दिया गया तो कईयों के आर्थिक ठिकानों को नेस्तनाबूद कर दिया। जो मुख्यमंत्री के तौर पर क़ाबिल ए तारीफ है। इस दौरान सीएम योगी की भृकुटि कुछ ज्यादा ही मुख्तार अंसारी पर टेढ़ी हुई और जेल में बंद मुख्तार और उनके लोगों के यहां योगी जी का बुलडोजर दौड़ने लगा। मुख्तार पर कार्यवाही करते हुये योगी सरकार ने अपराध से अर्जित मुख्तार की सैकड़ों करोड़ संपत्ति जब्त करने के साथ उनके कई व्यापारिक प्रतिष्ठानों को जमीदोज कर दिया। यही नही मुख्तार अंसारी के लगभग सैकड़ों करीबियों को मुकदमों निरुद्ध किया गया। हम इस कार्यवाही को जायज कहते हैं। मगर सवाल यह भी उठता है की जब अपराधियों माफियाओं पर योगी सरकार कार्यवाही कर रही थी तब क्या वह पूरी निष्पक्षता और बिना भेदभाव वह सभी माफियाओं के आर्थिक तौर पर नेस्तनाबूद की.?शायद नहीं।
सनद रहे कि जब भी मुख्तार की बात होगी तब बृजेश की भी बात होगी क्योंकि यह दोनों एक सिक्के के दो भाग जैसे हैं।
दोनों ने ही अपराध जगत से अकूत सम्पत्ति बनाई है। अगर मोख्तार अंसारी द्वारा अर्जित सम्पत्तियों को योगी सरकार अवैध मानती है तो उसे यह भी ध्यान देना होगा कि बृजेश सिंह ने हल जोत कर सम्पत्ति नहीं अर्जित किये हैं। मुख्तार अंसारी सिंडिकेट ने जहां जेल से ही कोयला, मछली कारोबार, पीडब्ल्यूडी, समेत अन्य ठेका वसूली के जरिए अपने को आर्थिक तौर पर मजबूत किया।

वहीं बृजेश सिंह के गोल ने कोयला, रेलवे, पीडब्ल्यूडी, दूरसंचार समेत अन्य सरकार विभाग में ठेकों वसूली से अरबों का साम्राज्य खड़ा कर लिया है। अगर सरकार निष्पक्षता से कार्यवाही करती तो दोनों के आर्थिक साम्राज्यों पर बुलडोजर चलाया जाना चाहिये था। वरना यह दर्शाता है कि योगीजी मुख्तार से और बृजेश सिंह व अन्य स्वजातीय माननीय माफियाओं से प्यार जताते रहें। उसका दूसरा उदाहरण है जौनपुर के माफिया से माननीय बने धनंजय सिंह जो 25 हजार का ईनामी होते हुये खुलेआम पूरे शहर में घूमते रहेंऔर तो और चुनाव प्रचार भी कर रहे है मगर योगीजी की पुलिस उन्हें पकड़ नहीं पाई। वहीं दूसरे माफ़िया अतीक अहमद के आर्थिक सम्राज्य पर योगी जी ने खूब बुलडोजर चलवाई। यह सब देख सुनकर सवाल तो उठेगा ही की क्या योगीजी मुख्यमंत्री रहते हुये कानूनी कार्यवाही में भी धर्म जाति का भेदभाव करते रहें।

शरणदाता को मौत की नींद सुलाता बृजेश एंड कम्पनी :

अक्सर अपराधी फरारी में अपने शरणदाताओं के यहां पनाह पाते हैं। और उन्हें शरण देने वाले का आजीवन एहसानमंद रहता है। मगर बृजेश सिंह को इसके उलट बताया जाता है। कहा जाता है ब्रिजेश जहां जिसका साथ लिया उसे ही ठिकाने लगा दिया।

बताया जाता है कि कभी ब्रजेश सिंह के छिपने का सबसे सुरक्षित ठिकाना स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह का सिंह मेंशन आवास बलिया रहा । स्वर्गीय सूर्यदेव सिंह सिंह की विरासत सम्भालने वाले उनके बेटे राजीव रंजन सिंह 23 सितंबर 2003 से लापता है झारखण्ड में आम चर्चाओं के अनुसार राजीव रंजन की हत्या कथित रूप से बृजेश सिंह ने कर दी और तो और जमशेदपुर में बृजेश को स्थापित करने वाले वीरेंद्र सिंह टाटा की हत्या में भी कथित रूप से बृजेश का नाम सामने आया।

सूत्रों की माने तो वाराणसी के गुड्डू सिंह की हत्या में भी बृजेश का हाथ था । चर्चाओं के अनुसार गुड्डू सिंह को सुलह के बहाने गोंडा बुलाया गया बाहुबली सांसद के यहाँ पंचायत हुई फिर गुड्डू सिंह को धोखे से भठ्ठे में झोंक दिया गया । यहाँ तक कि आरोप यह भी लगते हैं कि बृजेश सिंह के अत्यंत करीबी वाराणसी चौबेपुर के रहने वाले रामबिहारी चौबे को चाचा भतीजे यानी बृजेश सिंह सुशील सिंह ने उन्हें मरवा दिया। फिलहाल रामबिहारी चौबे हत्याकांड की जांच गहनता से हो रही है। वजह जो भी रही हो मगर यह तय है बृजेश के बारे में यह कहा जाता है कि यह अपनो को बढ़ता देखना नहीं चाहते।

बन गए माननीय लेकिन चिरकुटई छुटा नही

माननीय/ माफिया बृजेश सिंह के आर्थिक साम्राज्य का आधार देखेंगे तो पाएंगे कि उसमें अधिकतर जबरन वसूली ही है। उसी से बृजेश सिंह सिंडिकेट अर्थव्यवस्था स्टैंड किया है। अगर सूत्रों की माने तो दीनदयाल नगर (मुगलसराय) के चन्दासी कोयला मंडी से प्रतिमाह लाखों की वसूली और मालगाड़ियों का जो रैक उतरता है। राजघाट काशी स्टेशन, ब्यासनगर चंदौली, मुगलसराय, शिवपुर से प्रति मालगाड़ी डेढ़ लाख की वसूली की जाती है। जो माहवार देखें तो करोड़ो में है। वहीं जमीन तथा अन्य कारोबार की पंचायत शिवपुर सेंट्रल जेल में अक्सर आयोजित होती है। जिसे बृजेश सिंह के संचालित करने की खबरें छनकर आती रहती हैं।
सवाल यह उठता है कि जब माफियाओं और उनके गुर्गों के खिलाफ सरकार अभियान चला रही उनके चल अचल सम्पत्ति को कुर्क जमीदोज कर रही है तो क्या बृजेश सिंह को कुनबे को सिर्फ इसलिए बख्शा जा रहा है कि वह केंद्रीय मंत्री का करीबी या वर्तमान सत्ताधारी दल द्वारा पोषित है..? अगर न्याय का पैमाना मेरा वाला तेरा वाला है,तो इसे कैसे न्याय कहा जाय

जब सेंट्रल जेल में योगी आदित्यनाथ ने बृजेश सिंह को लगाया गले

सेंट्रल जेल में सूबे के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ चंद्रशेखर आजाद प्रतिमा का अनावरण करने गए थे । पूरा का पूरा बृजेश सिंह का कुनबा जेल के अंदर मौजूद रहा। जब मुख्यमंत्री सेंट्रल जेल पहुँचे तब बृजेश सिंह ने उनका पैर छुआ तो कथित तौर पर योगी आदित्यनाथ ने ब्रजेश सिंह को गले लगा लिया। जेलर को भी कथित तौर निर्देश दिया कि ये भाजपा के समर्थित एमएलसी है कोई दिक्कत न होने पाए।

अमित मौर्या

-अमित मौर्या-

-up18 News


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