नेपाल सीमा से सटे मदरसों को फंडिंग पर योगी सरकार ने दिए जांच के आदेश

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इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री धर्मपाल सिंह ने कहा है कि इन मदरसों ने ये नहीं बताया कि जकात और चंदे की राशि दे कौन रहा है? उन्होंने कहा कि ऐसे मदरसों की संख्या काफी ज्यादा है। साफ लग रहा है कि इन मदरसों को बाहर से चंदा मिल रहा है। तो सवाल ये है कि बाहर से आखिर क्यों इन्हें चंदा भेजेगा?

मंत्री कहा कि हम अपने बच्चों का गलत इस्तेमाल होने नहीं दे सकते, जिसकी संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता। फिलहाल, जानकारी इकट्‌ठा कर ली गई है और फंडिंग का सोर्स की फिर से जांच की जा रही है।

बता दें पिछले साल अगस्त में योगी सरकार ने प्रदेश के सभी जिलों में मदरसों का सर्वे करने का निर्देश दिया था। 10 सितंबर को ये सर्वे शुरू हुआ और जिलाधिकारियों ने 15 नवंबर तक अपनी सर्वे रिपोर्ट शासन को भेज दी थी।

दो महीने चले इस सर्वे में 8449 मदरसे ऐसे मिले, गैर मान्यता प्राप्त थे, यानी उत्तर प्रदेश के मदरसा एजूकेशन बोर्ड से संबद्ध नहीं थे। इसमें मुरादाबाद में सबसे ज्यादा 550, सिद्धार्थनगर में 525 और बहराइच में 500 मदरसे मिले। जानकारी के अनुसार उत्तर प्रदेश में करीब 25 हजार मदरसे हैं।

इन गैर मान्यता प्राप्त मदरसों में प्रमुख रूप से तीन श्रेणियां सामने आई हैं। पहली श्रेणी में ऐसे मदरसे हैं, जो सारे मानक पूरे करते हैं लेकिन उनका प्रबंधन मदरसा बोर्ड से संबद्ध नहीं होना चाहता। उनकी अपनी फंडिंग है और वो अपने बनाए नियम पर चलते हैं। वहीं दूसरी श्रेणी में ऐसे मदरसे हैं, जो मानकों पर खरे नहीं उतरते लेकिन मदरसा बोर्ड में रजिस्टर्ड होने के इच्छुक हैं। वहीं तीसरी श्रेणी ऐसे मदरसों की है, जो मनमाने ढंग से चल रहे हैं और उनका कोई रोडमैप नहीं है।

बेसिक के नियमों के तहत मदरसों में हो काम’

अल्पसंख्यक कल्याण धर्मपाल सिंह ने पिछले दिनों मदरसा परिषद के अध्यक्ष और सदस्यों के साथ बैठक में कहा था कि मदरसे के छात्र-छात्राओं के हितों को ध्यान में रखते हुए मदरसा शिक्षा परिषद पाठ्यक्रम, समय सारिणी का निर्धारण, अवकाश और परीक्षा प्रक्रिया का काम नियमानुसार किया जाए। इस बात का विशेष ध्यान रखा जाए कि मदरसा बोर्ड द्वारा बेसिक शिक्षा परिषद के नियमों के आधार पर ही काम किया जाए। राज्य सरकार का लक्ष्य है कि अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राएं शिक्षा के क्षेत्र में श्रेष्ठता की ओर बढ़ें। पढ़ाई में बेहतर प्रदर्शन करने वालों को पुरस्कृत किया जाए, जिससे साथ में पढ़ने वाले अन्य बच्चों का भी मनोबल बढ़े। अल्पसंख्यक वर्ग के छात्र-छात्राएं परंपरागत शिक्षा के साथ ही आधुनिक शिक्षा ग्रहण करें।

Compiled: up18 News