जब नबाब साहब ने अपने कुत्तों को विमान में बैठाने के लिए अपनी बेगम को ही छोड़ दिया….

Cover Story

क्या कोई व्यक्ति अपने कुत्तों से इतना अधिक प्यार कर सकता है कि उनके चक्कर में अपनी बेगम को ही छोड़ दे? आपको सुनने में यह अजीब लग सकता है लेकिन एक नवाब ने ऐसा ही किया था। उसने अपने कुत्तों को विमान में बैठाने के लिए अपनी बेगम को ही छोड़ दिया था। किस्सा उस दौर का है जब भारत से अंग्रेजों का राज समाप्त हो रहा था और अंग्रेजों को हमारा देश छोड़कर जाना पड़ रहा था। तब देश में कई रियासतें और राजपरिवार थे, जो अपने राजे-रजवाड़ों पर अधिकार छोड़ना नहीं चाहते थे। इन्हीं में से एक थे जूनागढ़ के नवाब महाबत रसूल खान।

नवाब को था कुत्तों का शौक

नवाब नवाब महाबत रसूल खान को कुत्ते पालने का बहुत शौक था। इतना कि उसने अपने खजाने से बड़ी रकम खर्च कर कई नस्लों के 800 से अधिक कुत्ते इकट्‌ठा किए थे और उनका लालन-पालन करता था। यहां तक कि उसने भारी रकम खर्च कर कुत्तों का निकाह तक करवाया था।

पाकिस्तान में मिलाना चाहता था अपनी रियासत

कहते हैं कि जब सरदार वल्लभ भाई पटेल सभी रियासतों के भारत में विलय की प्रक्रिया में जुटे थे, तब जूनागढ़ का यह नवाब अपनी रियासत को पाकिस्तान में मिला देना चाहता था। चूंकि उसकी जूनागढ़ रियासत में तब मुसलमानों की संख्या महज 15 प्रतिशत थी और अधिकांश जनता गुजराती हिंदू थी इसलिए जनता चाहती थी कि जूनागढ़ भारत में विलीन हो। इसके चलते सरदार पटेल ने जनमत संग्रह की बात की और नवाब के न मानने पर भारतीय सेना भेज दी।

बेगम की जगह 4 कुत्तों को विमान में बैठा लिया

भारतीय सेना भेजे जाने की खबर मिलते ही नवाब ने अपना पाकिस्तान जाने का मन बना लिया। इस तरह नवाब को अपना सब-कुछ छोड़कर पाकिस्तान भागने के लिए मजबूर होना पड़ा। वह कराची भागने के लिए विमान में बैठा, तभी उसे पता चला कि उसकी एक बेगम अपनी बच्ची को लेने के लिए महल में रह गई है। तब उसने बेगम की जगह पर चार कुत्तों को विमान में बैठाया और यह कहते हुए उड़ गया कि ‘बेगम तो पाकिस्तान में भी मिल जाएगी, मगर वहां ये कुत्ते नहीं मिलेंगे।’

-एजेंसियां