सनातन धर्म के व‍िरोध‍ियों पर भड़का विश्व हिंदू परिषद, काशी में बुलाई संतों व धर्माचार्यों की बड़ी बैठक

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बुनियादी ढांचे को नष्ट करने का प्रयास-वीएचपी

इससे पहले विश्व हिंदू परिषद ने उदयनिधि की टिप्पणी की निंदा करते हुए हिंदुओं से अपील की कि वे देश में एकता और धार्मिक सद्भाव के बुनियादी ढांचे को नष्ट करने का प्रयास करने वाले ‘‘छद्म द्रविड़ों’’ को उचित जवाब दें।

विहिप के अखिल भारतीय संयुक्त सचिव पी.एम.नागराजन ने उदयनिधि से यह स्पष्ट करने को कहा था कि क्या उनके विचार राज्य सरकार के विचारों को प्रतिबिंबित करते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अगर ऐसा है तो हम केंद्र सरकार को बताएंगे कि संविधान के अनुच्छेद 25 और 26 प्रत्येक व्यक्ति को अपने धर्म का अनुसरण करने का अधिकार देते हैं।’

कोरोना, डेंगू और मेलेरिया से की थी सनातन धर्म की तुलना

दरअसल, तमिलनाडु के युवा कल्याण एवं खेल मंत्री उदयनिधि ने दो सितंबर को चेन्नई में आयोजित एक कार्यक्रम में सनातन धर्म को लेकर विवादित टिप्पणी की थी। उन्होंने सनातन धर्म की तुलना कोरोना वायरस संक्रमण, डेंगू और मलेरिया से करते हुए इसे खत्म किए जाने की वकालत की थी। उदयनिधि ने कहा था, ”सनातन धर्म लोगों को धर्म और जाति के आधार पर विभाजित करता है। सनातन धर्म का समूल नाश दरअसल मानवता और समानता को बनाए रखने के हित में होगा।” उनकी इस टिप्पणी की तीखी आलोचना हुई थी।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस से इस बयान की निंदा करने की मांग की है। हालांकि, उदयनिधि ने बाद में दावा किया था कि उन्होंने सनातन धर्म के अनुयायियों के खिलाफ हिंसा का कोई आह्वान नहीं किया है। बहरहाल, कई पूर्व न्यायाधीशों और अधिकारियों समेत 260 से ज्यादा प्रबुद्ध नागरिकों ने देश के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को लिखे पत्र में उदयनिधि के बयान को ‘घृणास्पद’ करार देते हुए उनसे इसका स्वत: संज्ञान लेने का आग्रह किया है।

– एजेंसी