उकडू बैठना भूल चुके हैं शहरीलोग, जानिए क्या क्या होते है स्वास्थ्य लाभ

Health

उकड़ू बैठने से शरीर को कमाल के स्वास्थ्य लाभ मिलते है। आइए जानते हैं उकड़ू बैठने से क्या क्या लाभ होते है

सुबह उठते ही

सवेरे बिना कुल्ला करे उकड़ू बैठकर घूंट घूंट करके धीरे-धीरे पानी पीने से कब्ज, गैस, एसिडिटी, अपच, किसी भी प्रकार के दर्द की समस्या से राहत मिलती है। इससे पाचन तंत्र और आंतें काफी मजबूत हो जाती हैं।

शौच करते समय

उकडू अवस्था में बैठ कर शौच करने से हमारा पाचन तंत्र मजबूत बनता हैं और पेट जल्दी एवं पूरा साफ़ होता हैं। उकडू में बैठ कर पंजे के बल आगे आकर अपने दांत पीसे। ऐसा करने से बड़ी से बड़ी कब्ज भी ठीक हो जाएगी और पेट जल्दी साफ़ होगा। दरअसल हमारे आँतों की संरचना और बनावट कुछ ऐसी होती हैं कि इस अवस्था में बैठने पर मल नीचे की और खिसकना शुरू हो जाता है एवं बिना तकलीफ के बाहर निकल जाता है।

दातुन/ ब्रश करते समय

उकडू अवस्था में बैठ कर उंगलियों से दांतों की मालिश करने और अपने कंठ को साफ़ करने से आमाशय में जो भोजन पड़ा हुआ है जो कि अभी तक पचा नहीं है वह भी नीचे की और खिसकना चालू हो जाएगा। ऐसा करने से पाचन तंत्र मजबूत होता है, बालों का झड़ना कम होता है और नेत्रों की ज्योति भी बढ़ती है क्योंकि यह हमारे तंत्रिका तंत्र से जुड़ा हुआ है।

खाना खाते समय

उकडू बैठ खाना खाने से खाना जल्दी पचता हैं। साथ ही इससे एसिडिटी नहीं होगी, पेट बाहर नहीं निकलेगा और गैस बाहर आ जाएगी। शरीर को स्वस्थ रखने के लिए जितने भोजन की आवश्यकता होगी उतना ही भोजन भाएगा।

मूत्र त्याग करते समय 

उकडू बैठ कर मूत्र करने से मूत्राशय पूरी तरह खाली हो जाता है। बार बार मूत्र आने की समस्या खत्म होती है। प्रोस्ट्रेट नहीं होता हैl

शौच या पेशाब के समय दांतों के जबड़ों को आपस में दबाकर रखने से दांत मजबूत रहते हैं।

अन्य लाभ

– इस प्रकार बैठने से पंच प्राणों (प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान) का संतुलन होता है।

– इस अवस्था में बैठने से गुरुत्व नाभि में जाता हैं, जिससे पाचन तंत्र और आतें काफी मजबूत हो जाती है।

– उकडू बैठने से जांघों पर दबाव पड़ने से पेट की गैस निकालने में आसानी होती है, नसों की ब्लॉकेज/ रुकावट दूर होती है

– इससे एड़ी, कमर, जोड़ो, रीड का दर्द इत्यादि की समस्यां नहीं आती हैं।

– मन मस्तिष्क शांत, हल्का एवं तनाव मुक्त रहता है। क्रोध एवं अन्य विकार कम होते हैं।

– शरीर लचीला एवं ऊर्जावान रहता है।

– इसके अलावा इससे मूलाधार चक्र पर भी दबाव पड़ता है जिसकी वजह से प्राण शक्ति ऊपर की ओर उठती है और यौवन एवं स्वास्थ्य की प्राप्त होता हैं।

– इसको करने से एकाग्रता बढ़ती है। स्कूल में मुर्गा बनाने का ट्रेंड भी शायद इसी कारण चालू किया गया।

– इस आसन को गो-दुग्ध आसन भी कहां जाता है।

– इसी आसन से भगवान महावीर को केवल ज्ञान की प्राप्ति हुई थी।

Compiled: up18 News