लखनऊ । इन दिनों कृषि को लेकर प्रदेश सरकार ज्यादा फोकस कर रही है। नये—नये फल—फूलों के उत्पादन को बढ़वा दे रहीं है और किसानों का मनोबल बढाती है। इन दिनों उत्तर प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की व्यावसायिक खेती जोर पकड़ रही है। बताते चले कि 2024 से उत्तर प्रदेश में बड़े तदात में ड्रैगन फ्रूट की खेती की जा रहीं है।
एक रिपोर्ट के अनुसार, प्रदेश में ड्रैगन फ्रूट की व्यावसायिक खेती 260 हेक्टेयर से अधिक रकबे में होती है। कमलम नाम से भी इस फल को पहचाना जाता है। इस फल की औसत उपज बीते वित्त वर्ष के दौरान 9 मीट्रिक टन प्रति हेक्टेयर थी।
जानकारी के अनुसार यूपी के मिर्जापुर में ड्रैगन फ्रूट की खेती करने के लिये यहां की उपयुक्त जलवायु ने इस जिले को इसकी खेती करने में पहचान दिलाने का कम किया है। वैसे तो यूपी के सोनभद्र, जौनपुर, कुशीनगर, प्रयागराज, गोरखपुर, बस्ती, अंबेडकरनगर, हरदोई, गाजीपुर और बाराबंकी जिलों में ड्रैगन फ्रूट का व्यावसायिक उत्पादन किया जा रहा है। बीते 2024-25 के दौरान प्रदेश में कुल 260 हेक्टेयर में ड्रैगन फ्रूट की फसल उगाई गई थी। इस कुल रकबे में अकेले मिर्जापुर का हिस्सा 100 हेक्टेयर से अधिक था।
बताते चले कि केंद्र सरकार अपनी एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत किसानों को ड्रैगन फ्रूट की व्यावसायिक खेती के लिए प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 6 लाख 75 हजार रुपये से अधिक की इनपुट लागत पर 40 फीसदी सब्सिडी दे रही है। इससे किसानों को भी लाभ होगा।
देशभर में इस फल की बढ़ती मांग की तुलना में इसके व्यावसायिक उत्पादकों की कम संख्या है। ऐसे में इस फल का उत्पादन कई संभावनाएं अपने साथ लेकर आता है। उत्तर प्रदेश सरकार चालू वित्त वर्ष में एकीकृत बागवानी विकास मिशन योजना के तहत नए किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती में शामिल कर इस फल के रकबे को 200 हेक्टेयर बढ़ाने की योजना बना रही है।
हेल्थ के लिये ड्रैगन फ्रूट काफी लाभकारी माना गया है। ड्रैगन फ्रूट को सुपर फूड के तौर पर रखा गया है। इस फसल में रोगों और कीटों के संक्रमण का खतरा नहीं रहता है। ड्रैगन फ्रूट एंटीऑक्सीडेंट और फाइबर से भरपूर होता है।
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