खुद अशिक्षित लेकिन दूसरों के मन में शिक्षा की अलख जला रही है आगरा की लज्जावती

विविध

कांशीराम आवास योजना निवासी लज्जावती चला रही अनौपचारिक पाठशाला

कई बच्चों का पाठशाला के बाद स्कूल में भी हुआ दाखिला

आगरा: हौंसले बुलंद हों तो मुश्किल से मुश्किल चीज भी आसान हो सकती है। ऐसा ही कर दिखाया कि कालिंदी विहार कांशीराम आवास योजना निवासी 65 वर्षीय लज्जावती ने ऐसा ही कर दिखाया। अशिक्षित होने के बावजूद उन्होंने स्कूल न जाने वाले बच्चों के मन में शिक्षा की अलख जलाई और उन्हें स्कूल भेजा। इसके साथ ही उन्होंने कोविड काल में लोगों की मदद की।

कालिंदी विहार काशीराम आवास योजना बी ब्लॉक की रहने वाली 65 वर्षीय लज्जावती वे आसपास के श्वानों के खाने-पीने का विशेष ध्यान रखती हैं इसलिए स्थानीय लोग उन्हें कुत्ते वाली अम्मा के नाम से संबोधित करते हैं। वे अशिक्षित हैं। इसके बावजूद उन्होंने समाज के हित में कार्य करना शुरु किया। वे ब्लॉक के बच्चों को शिक्षित करने और स्वास्थ्य सेवाओं के प्रति महिलाओं में जागरूकता की अलख जगा रही हैं।

लज्जावती ने बताया कि कांशीराम आवास योजना में गरीब और मजदूर वर्ग के लोग रहते हैं। ज्यादातर लोगों के बच्चे स्कूल नहीं जा पा रहे थे। इसके बाद उन्होंने इन बच्चों को शिक्षा देने के बारे में सोचा। उन्होंने बाल अधिकार कार्यकर्ता नरेश पारस से अनुरोध किया कि यहां के बच्चों को भी शिक्षा दिलाई जाए। उन्होंने ब्लॉक की तीन महिलाओं के साथ नरेश पारस के सहयोग से बच्चों का सर्वे किया। इसके बाद ब्लॉक की सोनू चौहान और गीता से इन बच्चों को पढ़ाने के बारे में कहा। इस पर सोनू और गीता दोनों राजी हो गईं। अब उन्होंने कांशीराम आवास योजना में ही 82 बच्चों को अनौपचारिक रूप से पढ़ाना शुरु कर दिया। अब इन बच्चों और इनके अभिभावकों में शिक्षा की अलख जगने लगी है। अब इनके अभिभावक कहते हैं कि वे अपने बच्चों को स्कूल भेजेंगे। लज्जावती ने बताया कि हाल ही में उनकी कक्षा में पढ़ रहे छह बच्चों का स्कूल में भी दाखिला हो गया है।

कोरोना काल में की मदद

कोरोना की पहली लहर में गर्भवती महिलाएं तथा बच्चे भूख से व्याकुल थे। ऐसे में लज्जावती ने चाइल्ड राइट्स एक्टिविस्ट नरेश पारस से संपर्क स्थापित कर उनकी व्यथा को बताया। नरेश पारस के माध्यम से राशन का इंतजाम कराया। जिसे लज्जावती ने उन महिलाओं के घर घर जाकर वितरित किया। तीसरी लहर में जब काशीराम आवास योजना ब्लाक का हर व्यक्ति वैक्सीन लगवाने से डर रहा था, लोग भ्रम में थे कि वैक्सीन लगवाने से उनकी मौत हो जाएगी। किसी ने भी वैक्सीन नहीं लगाई थी। लज्जावती ने नरेश पारस के साथ ब्लॉक की सभी महिलाओं को समझाया और स्वास्थ्य विभाग से लगाए गए शिविर में पहला टीका लज्जावती ने लगवाया। जब सब लोगों को यकीन हो गया कि वैक्सीन लगने से मौत नहीं होगी तब वहां के 450 लोगों ने वैक्सीनेशन कराया। इस ब्लाक के सभी लोग फुल वैक्सीनेटेड हो चुके हैं। सभी के पास कोविड का वैक्सीनेशन का प्रमाण पत्र है।

-up18 News