आगरा मेट्रो प्रोजेक्ट: राजा की मंडी पर अंडरग्राउंड स्टेशन का निर्माण कार्य शुरू, बनने लगी गाइड वॉल

स्थानीय समाचार

आगरा: सात भूमिगत स्टेशनों का किया जाना है निर्माण
शहरवासियों को निर्धारित समय पर मेट्रो की सौगात देने के लिए उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच बन रहे प्रथम कॉरिडोर में तेज गति के साथ निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। इस कॉरिडोर में कुल 7 भूमिगत स्टेशनों का निर्माण किया जाना है, जिसमें तीन प्रायॉरिटी कॉरिडोर में जबकि अन्य चार भूमिगत सेक्शन का हिस्सा हैं। फिलहाल, प्रायॉरिटी कॉरिडोर के साथ ही राजा की मंडी मेट्रो स्टेशन पर भी गाइड वाल का निर्माण शुरू हो गया है। इसके साथ ही भूमिगत भाग के सभी 7 स्टेशनों की बैरिकेडिंग व मिट्टी के नमूनों की जांच पूरी की जा चुकी है।

ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच प्रथम कॉरिडोर

उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉरपोरेशन द्वारा ताज ईस्ट गेट से सिकंदरा के बीच बन रहे प्रथम कॉरिडोर के प्रायोरिटी सेक्शन में तेज गति के साथ निर्माण कार्य जारी है।

प्रायॉरिटी कॉरिडोर में 3 एलिवेटिड व 3 भूमिगत स्टेशनों के निर्माण किया जा रहा है। ऐलिवेटिड भाग में निर्माण कार्य लगभग अंतिम चरण में है तो वहीं भूमिगत भाग में तेज गति के साथ निर्माण किया जा रहा है। अब यूपी मेट्रो द्वारा बाकी भूमिगत भाग में भी निर्माण कार्य शुरू हो गया है। यूपी मेट्रो द्वारा राजा की मंडी मेट्रो स्टेशन के लिए गाइड वाल का निर्माण किया जा रहा है।

ऐसे होता है निर्माण कार्य

भूमिगत स्टेशन के निर्माण के लिए सबसे पहले स्टेशन परिसर हेतु चिन्हित भूमि पर अलग-अलग जगहों से बोरिंग कर मिट्टी के नमूने लिए जाते है। इन नमूनों की जांच के बाद स्टेशन बॉक्स (स्टेशन परिसर का कुल क्षेत्रफल) की मार्किंग की जाती है। इसके बाद स्टेशन परिसर की डॉयफ्राम वाल (बाउंड्री वॉल) के निर्माण के लिए गाइडवॉल बनाई जाती है। गाइड वॉल का प्रयोग डी वॉल को सही दिशा देने के लिए किया जाता है, डी वॉल के निर्माण के बाद इसे हटा दिया जाता है।

फिर की जाएगी डी वॉल की खुदाई

गाइड वॉल के निर्माण के बाद एक खास मशीन से डी वॉल की खुदाई की जाती है। खुदाई पूरी होने का बाद उस जगह में सरियों का जाल (केज) का डाला जाता। इसके बाद कॉन्क्रीट डाल कर डायफ्राम वॉल का निर्माण किया जाता है। टॉप डाउन प्रणाली के तहत एक बार जब स्टेशन परिसर की डायफ्राम वाल का निर्माण पूरा हो जाता है, तो फिर ऊपर से नीचे की ओर निर्माण कार्य प्रारंभ होते हैं।

भूमि को समतल कर किया जाएगा कॉन्कोर्स की छत का निर्माण

टॉप डाउन प्रणाली में सबसे पहले ग्राउंड लेवल पर भूमि को समतल कर कॉन्कोर्स की छत का निर्माण किया जाता है। इस दौरान ग्राउंड लेवल की स्लैब में कई जगहों पर खुला छोड़ा जाता है। जब प्रथम तल (कॉन्कोर्स) की छत बनकर तैयार हो जाती है, तो खाली जगहों से मशीनों के जरिए मिट्टी की खुदाई शुरू की जाती है। इसके बाद कॉन्कोर्स तल की खुदाई पूरी हो जाने पर फिर मिट्टी को समतल कर प्लेटफॉर्म लेवल की छत का निर्माण किया जाता है। इस स्लैब में भी कुछ खाली जगह छोड़ी जाती हैं, जहां से फिर मशीनों के जरिए प्लेटफॉर्म लेवल की खुदाई कर स्टेशन परिसर का निर्माण किया जाता है।

-एजेंसी