आगरा। ताजमहल के 500 परिधि के अंदर किसी भी तरह की व्यवसायिक गतिविधियां नहीं होंगी, यह आदेश खुद सर्वोच्च न्यायालय की ओर से आया है। इस आदेश के बाद ताज के 500 मीटर की परिधि के अंदर व्यवसायिक गतिविधियों करने वाले व्यापारियों में हड़कंप मचा हुआ है। व्यापारी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का विरोध नहीं कर सकते, इसीलिए पीड़ित व्यापारी अब सरकार और कोर्ट से इच्छा मृत्यु की मांग कर रहे हैं।
ताजमहल के 500 मीटर की परिधि के अंदर व्यवसायिक गतिविधियां करने वाले व्यापारियों का कहना है कि एडीए की ओर से गलत तथ्य प्रस्तुत किए गए जिसके चलते सुप्रीम कोर्ट की ओर से यह आदेश जारी हुआ है। सुप्रीम कोर्ट को कुछ लोगों ने गुमराह कर दिया। व्यापारियों का कहना है कि अगर इस आदेश का कोई समाधान नहीं निकल सकता और उनकी रोजी-रोटी नहीं बच सकती तो सुप्रीम कोर्ट व सरकार को उन्हें इच्छा मृत्यु की अनुमति दे देनी चाहिए। क्योंकि तिल तिल कर मरने से तो अच्छा है कि वह अपने जीवन को अपने अनुसार खत्म कर दें।
बनाया गया बलि का बकरा
500 मीटर परिधि के अंदर व्यापार करने वाले व्यापारी इस समय पूरा आक्रोश एडीए पर निकाल रहे हैं। उनका कहना है कि एडीए की कथनी और करनी दोनों में अंतर है। एडीए के कारण ही इस तरह की स्थिति बनी है। एडीए ने अपनी गर्दन बचाने के लिए 500 मीटर परिधि के अंदर अपना व्यापार कर रहे व्यापारियों को बलि का बकरा बना दिया है। इसीलिए तो सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद एडीए इतनी जल्दी कार्रवाई करने में जुटा है जिससे उसका झूठ और उसकी कमियां किसी के सामने न आए।
व्यापारियों का कहना है कि पहले नोटबंदी फिर जीएसटी की मार ने उनके व्यापार को चौपट किया। फिर बची खुची मार कोरोना संक्रमण ने कर दी। जैसे-तैसे कोरोना से उभरने के प्रयास सभी व्यापारी कर ही रहे थे कि अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश ने उन्हें मरणासन्न स्थिति में लाकर खड़ा कर दिया है। अब उनके सामने एक बार फिर आर्थिक संकट खड़ा हो गया है। वह अपने बच्चों को लेकर कहां जाएं और क्या करें, यह उन्हें समझ में नहीं आ रहा है।
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