जो सनातन धर्म का विरोध कर रहे हैं वो संविधान के भी खिलाफ हैं: मेघवाल

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इस दौरान उन्होंने संवाददाताओं से कहा- “हम उनसे पूछना चाहते हैं कि केसी वेणुगोपाल, कार्ति चिदंबरम, प्रियांक खड़गे के जो बयान आए हैं, ये तो उन्होंने बताया ही नहीं कि वो किधर खड़े हैं? हमें तो लगता है कि वे सनातन धर्म के ख़िलाफ़ हैं.”

उन्होंने कहा, “जो संविधान की शपथ लेकर संवैधानिक पदों पर बैठे हैं उन्हें सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए. सनातन धर्म का निरादर क्यों? इसका मतलब वो संविधान के भी खिलाफ हैं.”

इसी महीने तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे और राज्य सरकार में मंत्री उदयनिधि स्टालिन ने सनातन धर्म पर कहा था, “सनातन धर्म लोगों को जाति और धर्म के नाम पर बांटने वाला विचार है, इसे ख़त्म करना मानवता और समानता को बढ़ावा देना है.”

उन्होंने ये भी कहा था, “जिस तरह हम मच्छर, डेंगू, मलेरिया और कोरोना को खत्म करते हैं उसी तरह सिर्फ सनातन धर्म का विरोध करना ही काफी नहीं है. इसे समाज से पूरी तरह खत्म कर देना चाहिए.”

इस पर कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि कांग्रेस का नज़रिया बिल्कुल स्पष्ट है, पार्टी सर्वधर्म सम्भाव में यकीन करती है.

उन्होंने कहा, “हम सभी के विश्वास का सम्मान करते हैं लेकिन आपको ये समझना होगा कि सभी राजनीतिक दलों को अपनी बात कहने की आजादी है.”

सनातन धर्म को लेकर चल रहे इस विवाद में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खड़गे ने भी उदयनिधि के बयान पर सहमति जताई.

उन्होंने कहा, “ऐसा कोई धर्म जो बराबरी की बात ना करता हो, जो मानवता के सम्मान की बात ना करता हो, मेरे ख़्याल से वो बीमारी की तरह ही है.”

वहीं कांग्रेस सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने कहा कि सनातन धर्म जातिवादी समाज के लिए ढांचे के अलावा कुछ और नहीं है.

उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि इसका समर्थन करने वाले अच्छे पुराने दिनों के लिए उत्सुक हैं.

उन्होंने कहा, “तमिलनाडु में आम बोलचाल की भाषा में ‘सनातन धर्म’ का अर्थ पदानुक्रमित समाज है. ऐसा क्यों है कि हर कोई जो सनातन धर्म के लिए पैरवी कर रहा है, उस विशेषाधिकार प्राप्त वर्ग से आता है, जो ‘पदानुक्रम’ के लाभार्थी हैं.”

Compiled: up18 News