युद्ध ने बदली यूक्रेनी महिलाओं की भूमिका, बड़ी संख्या में हो रही सेना में शामिल

अन्तर्द्वन्द

पक्की सड़क पर जाने में खतरा नहीं है

हाना यूक्रेन की उन बहुत सारी महिलाओं में शामिल हैं जिन्हें बारूदी सुरंगें बेअसर करने की ट्रेनिंग दी गई है। कुछ साल पहले तक महिलाओं के यह काम करने पर रोक थी। यूक्रेन में छह माह से चल रहे युद्ध में महिलाओं की मौजूदगी हर जगह दिखाई पड़ती है।

वे बड़ी संख्या में सेना में शामिल हो रही हैं। लड़ाई में हिस्सा लेती हैं। वैसे, फौज में अब भी अधिकतर लड़ाके पुरुष हैं। महिलाएं परिवार की देखभाल, बिजनेस चलाने, सहायता कार्यों सहित अन्य काम कर रही हैं। वे राहत कार्यों के लिए पैसा जुटाती हैं। यूक्रेनी समाजशास्त्री अन्ना क्विट कहती हैं, सामान्य रूप से महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले कमतर आंका जाता था। इस युद्ध ने महिलाओं की हैसियत बढ़ाई है। क्विट बताती हैं, 2014 में पूर्वी यूक्रेन में संघर्ष के बाद महिलाओं की मौजूदगी नई भूमिकाओं में बढ़ी है। महिलाओं के लड़ाई में हिस्सा लेने पर रोक थी लेकिन अब वे युद्ध में जूझ रही हैं।

2018 में पास कानून में यूक्रेनी महिलाओं को सेना में पुरुषों के बराबर कानूनी दर्जा दिया गया है। सोवियत संघ के दौर में 450 पेशों में महिलाओं के काम करने पर रोक थी। इन कामों को महिलाओं की प्रजनन क्षमता के लिए नुकसानदेह माना जाता था। इस सूची में लंबी दूरी तक ट्रक ड्राइविंग, वेल्डिंग, फायर फाइटिंग और सेना, सुरक्षा से जुड़े कई जॉब शामिल हैं।

नए कानूनों में ये प्रतिबंध समाप्त कर दिए गए हैं। रूस से युद्ध के लिए 18 से 60 वर्ष की आयु के पुरुषों के देश छोड़ने पर पाबंदी है। इसलिए महिलाओं ने उनके कई काम संभाल लिए हैं। वे यूक्रेनी सेना को रसद पहुंचाने के लिए कार, ट्रक और अन्य वाहन चला रही हैं। युद्ध ने महिलाओं के लिए कुछ अवसर पैदा किए हैं। उनसे भेदभाव के नजरिये को चुनौती दी है। लेकिन, इसका उनके जीवन पर खराब असर भी पड़ा है। यूएन वुमन केयर इंटरनेशनल के एक विश्लेषण के अनुसार युद्ध ने उनका बोझ बढ़ाया है। बेघर होने का सबसे ज्यादा असर महिलाओं पर पड़ा है।

सेना में 50 हजार से अधिक महिलाएं

यूक्रेन की उप रक्षा मंत्री हाना मलियार ने बताया कि देश की सेनाओं में 50 हजार से अधिक महिलाएं हैं। युद्ध छिड़ने के बाद उनकी संख्या में बहुत बढ़ोतरी हुई है। दूसरी ओर अबेरस्टविथ यूनिवर्सिटी, ब्रिटेन में रूस और सुरक्षा मामलों की विशेषज्ञ जेनी माथेर्स कहती हैं, इसके बावजूद निर्णायक पदों पर पुरुष हैं। ज्यादातर लड़ाके पुरुष हैं।

इस कारण लड़ाई में महिलाओं की महत्वपूर्ण भूमिका गुमनामी में बनी रहती है। उनका कहना है, उनके बिना युद्ध नहीं लड़ा जा सकता था। वे सेना के लिए रास्ता बनाती हैं। देश में बेघर हुए लाखों लोगों के लिए खाना पकाती हैं। सैनिकों की मदद के लिए पैसा इकट्‌ठा कर रही हैं।

मेगन स्पेशिया, एमिली डके | चेरनिहिव, यूक्रेन