अग्निपथ स्कीम पर मचे बवाल के बीच आज तीनों सेनाओं की ओर से एक बार फिर प्रेस कॉन्फ्रेंस की गई। मिलिट्री अफेयर्स के अपर सचिव लेफ्टिनेंट जनरल अनिल पुरी ने कई तरह की आशंकाएं खारिज करते हुए कहा कि अगर अग्निवीर कहीं लड़ाई लड़ेगा तो उसे परमवीर चक्र भी मिलेगा। उसे किसी भी तरह से अलग नहीं रखा गया है।
अग्निवीरों की भर्ती को लेकर पुरी ने यह भी कहा कि तैनाती गणित का एग्जाम नहीं होता। इनकी उम्र साढ़े 17 से 21 साल है, ये 25 साल में निकलेंगे। वह तेज दौड़ेंगे, फायरिंग सटीक होगी… नए युवक की डिसीजन मेकिंग साइकल छोटी होगी। डर कर भागने के सवाल पर उन्होंने कहा कि जब आगे वाला उसका भाई पीछे नहीं आ रहा तो वह नहीं आ सकता। उन्होंने आगे कहा कि मैं आपको बताना नहीं चाहता कि जो तैनाती वाली जगह से भागने की कोशिश करे, उनके साथ क्या होता है।
उन्होंने कहा कि हम देशभक्ति का चांस दे रहे हैं। अग्निपथ टैलेंट को आकर्षित करने की योजना है, जिससे सेना को बेस्ट मिले। फौज के लिए काम करना एक जुनून, जज्बा है, नौकरी के लिए प्रावधान नहीं है। उन्होंने चीन, अमेरिका और इजरायल का उदाहरण देते हुए बताया कि कहां मिलिट्री सर्विस कितने साल की होती है, कैसे प्रशिक्षण होता है।
लेफ्टिनेंट जनरल पुरी ने बताया कि हाल में देखा गया है कि कई जगहों पर नौजवानों ने फिर से फिजिकल प्रैक्टिस शुरू कर दी है। उन्होंने कहा कि हम लोग सोल्जर की प्रोफेशन में हैं। यह देश का सबसे बड़ा एसेट है और हम जो भी सॉल्यूशन बनाएंगे वो देश की रक्षा के लिए होगा। जो भी सॉल्यूशन बनेगा उसमें तीन चीजें होंगी- वह देश की रक्षा, यूथ और सोल्जर केंद्रित होगा।
1989 में ही कमेटी ने की थी सिफारिश
अग्निवीर क्यों? यह समझाते हुए उन्होंने कहा कि अरुण सिंह कमेटी ने 1989 में, कारगिल रिव्यू कमेटी ने 2000 में, ग्रुप ऑफ मिनिस्टर्स ने 2001 में, 6वें पे कमीशन ने 2006 में और 2016 में शेकतकर कमेटी ने कई चीजें स्पष्ट रूप से कही हैं। 1989 में बनी कमेटी ने कहा था कि हमें जवानों की उम्र और उन्हें कमांड करने वालों की उम्र कम करने की जरूरत है।
कमेटियों ने रक्षा सुधार, सीडीएस की तैनाती, डिफेंस इंटेलिजेंस एजेंसी, आधुनिकीकरण आदि चीजों की सिफारिश की थी। इसमें से कुछ काम हुए हैं। इन्हीं में से एक है कमांडिंग ऑफिसर और सोल्जर की यंग प्रोफाइल करने की जरूरत थी। कमांडिंग ऑफिसर के लिए काम हो चुका था, अब सोल्जर की बारी थी।
अमेरिका और चीन में क्या है प्रक्रिया
सेना के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि अमेरिका में 8 साल की नियुक्ति होती है, जिसमें 4 साल ऐक्टिव और 4 साल रिजर्व होता है। 10 हफ्ते की ट्रेनिंग और औसत उम्र 27 साल रखी गई है। यूके में 16 साल की उम्र रखी गई है। वहां इंगेजमेंट 12 साल का होता है। चीन का उदाहरण देते हुए उन्होंने बताया कि conscript soldiers (अनिवार्य मिलिट्री सर्विस) के केस में 18 साल की उम्र में 2 साल का इंगेजमेंट होता है। 6 महीने की ट्रेनिंग होती है। यह सब बताते हुए पुरी ने कहा कि हम बाहर के देशों से कॉपी-पेस्ट नहीं कर सकते है। भारत की समस्या का समाधान भी भारत के हिसाब से होगा।
पुरी ने बताया कि हम हर साल कई देशों के साथ करीब 100 द्विपक्षीय अभ्यास करते हैं। उनके साथ हमने समझा कि उनकी आयु और इंगेजमेंट पीरियड क्या है। उसमें औसतन उम्र 26-27 साल, इंगेजमेंट पीरियड 2 से 4 साल और ट्रेनिंग 3 से 6 महीने की पता चली।
सैकड़ों घंटे चला मंथन
अग्रिपथ स्कीम लॉन्च करने से पहले सेना के स्तर पर काफी मंथन हुआ था। पुरी ने कहा कि सभी हितधारकों के साथ सेवाओं के स्तर पर 150 मीटिंग्स और 500 घंटे की बैठकें हुईं। रक्षा मंत्रालय के स्तर पर 60 बैठकें हुईं और 150 घंटे खर्च किए गए। सरकार के स्तर पर 44 बैठकें हुईं और 100 घंटे का समय विचार-विमर्श पर दिया गया। उन्होंने कहा कि लॉन्चिंग के समय की जहां तक बात है तो हम तो 1990 में ही लॉन्च कर देते लेकिन मंथन में टाइम लगा। पिछले दो साल में हमें मौका मिला और कोरोना के चलते भर्ती की प्रक्रिया रुकी और इसे लॉन्च करने का अवसर मिल गया। इसका मकसद था कि कम से कम लोगों को तकलीफ या दिक्कत हो।
एक वैकेंसी के लिए 50 लोग आते हैं…
उन्होंने बताया कि भर्ती की प्रक्रिया में कोई बदलाव नहीं होगा। ऑल इंडिया, ऑल क्लास में कोई बदलाव नहीं हुआ है। रेजिमेंटेशन की प्रक्रिया भी नहीं बदलेगी। उन्होंने कहा कि आज भर्ती होने के लिए एक वैकेंसी के लिए 50 से 60 लोग आते हैं, एक सिलेक्ट होता है तो 49 से 59 लोग वापस जा रहे हैं। हमें जरूरत है कि हम देश के लिए बेस्ट लें। हमारा काम सिल्वर से नहीं चल सकता है। सब काम फेयर होगा।
-एजेंसियां
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