आगरा: करीब 11 साल बाद मनीषा को इंसाफ मिला है। दर्द से कराहते हुए उसने 11 साल पहले एसएन मेडिकल कॉलेज में दम तोड़ा था। उसके पति भूरी सिंह ने इस पूरी लड़ाई को लड़ा। और अदालत ने भी अस्पताल संचालक को दोषी माना।
मनीषा हत्याकांड के ग्यारह साल पुराने मामले में आरोपी चिकित्सक को अदालत ने दोषी पाया है। गैर इरादतन हत्या, गर्भपात एवं एमटीपी एक्ट में आरोपित मां श्रृंगार अस्पताल के संचालक केपी सिंह को अदालत ने दस वर्ष सश्रम कारावास की सजा सुनाई है।
अपर जिला जज रनवीर सिंह ने आरोपित को सजा के साथ ही 41000 रुपये के अर्थदंड लगाया है। इसी मामले में आरोपी एक अन्य चिकित्सक राजेन्द्र सिंह को अदालत ने साक्ष्य के अभाव में बरी करने के आदेश किए।
यह था मामला
वादी भूरी सिंह ने 29 मार्च 2011 को जिलाधिकारी को तहरीर देकर कहा कि उसने 24 मार्च को अपनी तीन माह की गर्भवती पत्नी मनीषा दर्द होने पर को ट्रांस यमुना कॉलोनी स्थित मां श्रृंगार अस्पताल में भर्ती कराया था। खुद को डॉक्टर बताने वाले अस्पताल संचालक डॉ केपी सिंह ने पत्नी का गर्भपात कराने की सलाह दी। 2500 रुपये का खर्च बताया। रुपये जमा कराने के बाद उसकी रसीद भी नहीं दी।
आरोपित ने वादी की पत्नी मनीषा का गर्भपात कर दिया। लापरवाही इतनी कि उसके अंदरूनी अंगों को काफी नुकसान पहुंचा। काफी ब्लीडिंग हुई थी। इससे वहां हड़कंप मच गया था। तभी अस्पताल संचालक ने तथ्यों को छिपा वादी से कागजात पर हस्ताक्षर करा लिए थे।
इसके बाद वादी और उसकी पत्नी को अस्पताल से बाहर निकाल दिया। इसके बाद मामला मीडिया की सुर्खियां बना। तब वादी ने अपनी पत्नी को अन्य विशेषज्ञ डॉक्टर को दिखाया तो पता चला कि अस्पताल संचालक ने पत्नी के गर्भाशय को नष्ट कर दिया था।
एसएन मेडिकल कॉलेज में इलाज के दौरान पत्नी मनीषा की मौत हो गई थी। वादी ने एत्माद्दौला थाने में मुकदमा दर्ज कराया था।
मुकदमे के विचारण के दौरान सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता रूपेश गोस्वामी ने वादी भूरी सिंह, विवेचक सुरेशपाल सिंह सहित छह गवाह पेश किए। साथ ही घटना से जुड़े अहम साक्ष्य भी प्रस्तुत किए।
मीडिया की सुर्खियां बना था यह कांड
11 साल पहले यही मामला मीडिया की सुर्खियों में था। पूरा आगरा मनीषा के साथ खड़ा था। हर कोई उसकी हालत को देखकर यही कह रहा था कि अस्पताल संचालक को इतनी कठोर सजा मिले कि वो याद रखे।
-एजेंसी