तीन अहम क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित करने का इरादा रखते हैं नए CJI

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मामले में एक मुस्लिम पक्षकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने संविधान पीठ को बताया था कि न्यायमूर्ति ललित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह के वकील के रूप में एक संबंधित मामले में वर्ष 1997 में पेश हुए थे।

हाल ही में न्यायमूर्ति ललित की अध्यक्षता वाली एक पीठ मामलों की सुनवाई के लिए शीर्ष अदालत के सामान्य समय से एक घंटे पहले सुबह साढ़े नौ बजे बैठी थी।

न्यायमूर्ति ललित ने कहा था, ‘‘मेरे विचार से आदर्श रूप से हमें सुबह नौ बजे बैठना चाहिए। मैंने हमेशा कहा है कि अगर हमारे बच्चे सुबह सात बजे स्कूल जा सकते हैं, तो हम नौ बजे क्यों नहीं आ सकते।’’

न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने 22 अगस्त को आम्रपाली घर विक्रेताओं के मामले की सुनवाई के लिए तीन सितंबर (शनिवार) को सुबह साढ़े 10 बजे से दोपहर एक बजे का समय निर्धारित किया, जबकि इस दिन शीर्ष अदालत में छुट्टी होती है।

एक अन्य महत्वपूर्ण फैसले में न्यायमूर्ति ललित की अगुवाई वाली पीठ ने कहा था कि त्रावणकोर के पूर्व शाही परिवार के पास केरल में ऐतिहासिक श्री पद्मनाभस्वामी मंदिर के प्रबंधन का अधिकार है।

उनकी अध्यक्षता वाली पीठ ने यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) कानून के तहत एक मामले में बंबई उच्च न्यायालय के ‘‘त्वचा से त्वचा के संपर्क’’ संबंधी विवादित फैसले को खारिज कर दिया था। शीर्ष अदालत ने कहा था कि यौन हमले का सबसे महत्वपूर्ण घटक यौन मंशा है, त्वचा से त्वचा का संपर्क नहीं।

नौ नवंबर 1957 को जन्मे न्यायमूर्ति ललित जून, 1983 में वकील बने और उन्होंने दिसंबर 1985 तक बंबई उच्च न्यायालय में वकालत की थी। वह जनवरी 1986 में दिल्ली आकर वकालत करने लगे और अप्रैल 2004 में उन्हें शीर्ष अदालत द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया।

उन्हें 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन मामले में सुनवाई के लिए केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) का विशेष लोक अभियोजक नियुक्त किया गया था।

-एजेंसी