लद्दाख में गोगरा-हाटस्प्रिंग क्षेत्र के पैट्रोलिंग प्वाइंट-15 से पूरी तरह पीछे हटे भारत और चीन के सैनिक, वेरिफिकेशन प्रक्रिया भी पूरी

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16 वें दौर के वार्ता के बाद निकला हल

भारत और चीन के बीच दशकों से सीमा विवाद जारी है। साल 2020 में पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों की सेनाओं के बीच गतिरोध काफी बढ़ गया था, जिसके कारण दोनों देशों के बीच सीमा विवाद गलवान घाटी, पैट्रोलिंग प्वाइंट-15 के पास गोगरा-हाटस्प्रिंग क्षेत्र के साथ-साथ डेमचोक और देपसांग तक फैल गया।

दोनों देशों के बीच 16वें दौर के बातचीत के बाद गोगरा-हाटस्प्रिंग क्षेत्र (पैट्रोलिंग प्वाइंट-15) से भारत और चीन के सेनाएं सोमवार को पीछे हट गईं है। हालांकि डेमचोक और देपसांग में जारी गतिरोध का समाधान नहीं निकल पाया है।

दोनों देशों की सेनाओं ने की थी पीछे हटने की घोषणा

भारत और चीन की सेनाओं ने गोगरा-हाटस्प्रिंग क्षेत्र (पैट्रोलिंग प्वाइंट-15) से अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटाने की घोषणा आठ सितंबर को की थी। इस दौरान दोनों देशों की सेनाओं ने कहा था कि जुलाई में सैन्य वार्ता के 16वें दौर के परिणाम के बाद गोगरा-हाटस्प्रिंग क्षेत्र से सौनिकों को वापसी पर सहमति बनी है। जिसके बाद दोनों देशों की सेनाओं ने चरणबद्ध तरीके से पीछे हटना शुरू किया था। नई दिल्ली में सोमवार को एक कार्यक्रम के बाद सेना प्रमुख जनरल मनोज पांडे ने बताया था कि दोनों देशों की सेनाओं की वापसी प्रक्रिया ‘निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार’ ही चल रही है।

पूरी तरह से तनाव कम करना संभव नहीं

सूत्रों ने कहा, ‘फिलहाल पूरी तरह से तनाव कम करना संभव नहीं होगा क्योंकि भारत दौलत बेग ओल्डी सेक्टर और डेमचोक क्षेत्र में मुद्दों को हल करना चाहेगा, जहां चीनी सेना द्वारा अभी भी भारतीय गश्त पर आपत्ति जताई जा रही है।’

राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद सचिवालय द्वारा संचालित भारतीय सुरक्षा प्रतिष्ठान का विचार है कि वर्तमान स्थिति का उपयोग विरासत के मुद्दों को भी हल करने के लिए किया जाना चाहिए, जिसमें बहुत पहले बनाए गए मुद्दे भी शामिल हैं।

-एजेंसी