कश्‍मीरी पंडितों के नरसंहार का सत्‍य दिखाती है “द कश्‍मीर फाइल्‍स”

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विवेक अग्निहोत्री की फिल्म द कश्‍मीर फाइल्स #TheKashmirFiles रिलीज हो चुकी है। कश्मीरी पंडितों की त्रासदी पर आधारित ये फिल्म अनुपम खेर की बेहतरीन अदाकारी दर्शकों को 1990 के उसी दौर में ले जाती है जहां कश्मीरी पंडित अपना घर छोड़ने पर मजबूर हुए, फिल्‍म के रिलीज के बाद सोशल मीडिया पर कश्‍मीरी पंडितों के हित में #RightToJustice  ट्रेंड कर रहा है।

हालांकि जम्मू-कश्मीर की एक अदालत ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ में भारतीय वायु सेना के दिवंगत स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना का चित्रण करने वाले दृश्यों को दिखाने पर रोक लगा दी है। कोर्ट ने यह आदेश दिवंगत स्क्वाड्रन लीडर रवि खन्ना की पत्नी निर्मला खन्ना (Nirmala Khanna) के अदालत में याचिका दायर करने के बाद दिया है

निर्देशक विवेक अग्निहोत्री की इस फिल्‍म में सीन दर सीन ये साफ नजर आता है कि कश्मीरी पंडितों के विस्थापन और नरसंहार की इस कहानी में कई और भी मुद्दे थे जिसमें तीन किरदारों के जरिए कश्मीरी पंडितों की पीड़ा दिखाई गई है।

अनुपम खेर और मिथुन चक्रवर्ती की फिल्म द कश्मीर फाइल्स शुक्रवार को सिनेमाघरों में दस्तक दे चुकी है। कश्मीरी पंडितों की सच्ची त्रासदी पर आधारित ये फिल्म आपको हिला कर रख देगी। 1990 के का वो भयावह दौर जब कश्मीरी पंडितों को अपने ही घरों को छोड़ने पर मजबूर कर दिया गया था। फिल्म यह भी बताती है कि वो सिर्फ एक पलायन नहीं बल्कि नरसंहार था।

डायरेक्टर विवेक अग्निहोत्री कि इस फिल्म में ‘अनुच्छेद 370’ से लेकर कश्मीर के इतिहास और पौराणिक कथाओं पर भी बात की गई है। इस फिल्म में इस बात का जिक्र प्रमुखता से किया गया है कि कैसे राजनीतिक कारणों से कश्मीरी पंडितों के नरसंहार को सालों साल दबा कर रखा गया।

फिल्म की कहनी 1990 के दशक से शुरू होकर मौजूदा साल तक पहुंचती है। दिल्ली में पढ़ रहा कृष्णा (दर्शन कुमार) अपने दादाजी पुष्कर नाथ पंडित (अनुपम खेर) की आखिरी इच्छा पूरी करने के लिए श्रीनगर आता है। कश्मीर के अतीत से बेखबर वो अपने परिवार से जुड़ी सच्चाई की खोज में लग जाता है। यहां उसकी मुलाकात अपने दादाजी के चार दोस्तों से होती है। उनके बीच धीरे-धीरे कश्मीरी पंडितों के पलायन और नरसंहार की चर्चा शुरू होती है और कहानी पहुंचती है 1990 में।

फिल्म में आगे दिखाया गया कि किस तरह कश्मीर की गलियों में आतंकी बंदूकें लेकर घूम हैं और कश्मीरी पंडितों को ढूंढ-ढूंढकर मारते हैं, क्या बुजुर्ग, क्या महिला, आतंकी बच्चों तक को नहीं छोड़ते। फिल्म में ये दृष्य देख आपकी रूह कांप जाएगी। आप कल्पना करने लग जाएंगे कि कैसा भय का माहौल होगा उस वक्त। कश्मीरी पंडितों पर हुई तमाम हिंसा को दिखाती इस में फिल्म ये भी दिखाया गया कि कैसे उस वक्त राज्य का प्रशासन भी असहाय हो गया था।

-एजेंसी