कई अहम अभियानों में अपना रणकौशल दिखा चुके हैं देश के नए CDS अनिल चौहान…

Cover Story

मुखौटे जमा करने का अनोखा शौक

ले. जनरल चौहान को मुखौटे जमा करने का नायाब शौक है। उनके पास दुनियाभर के मुखौटों का बेहतरीन कलेक्शन है। चौहान ने बताया कि शुरुआत में नेपाल से कुछ मुखौटे खरीदे। यह महज सजाने के लिए थे लेकिन जब उन्हें अंगोला जाने का अवसर मिला तो वह एक अलग संस्कृति थी। दूसरे उपमहाद्वीप के मुकाबले अंगोला में मुखौटा का उद्देश्य ही अलग था। इसके बाद से मेरा मुखौटे जमा करने का शौक बढ़ता चला गया।

चौहान ने बताया कि उन्हें दुनिया के किसी भी हिस्से में जाने का मौका मिलता है, मुखौटा जरूर खरीदते हैं। लेफ्टिनेंट जनरल चौहान के पास इस समय 160 मुखौटों को कलेक्शन है। वह कहते हैं, अगर कोई मुखौटी किसी संस्कृति का प्रतीक होता है तो मैं उसे जरूर खरीदता हूं।

कई अहम अभियानों में दिखा चुके हैं रणकौशल

चौहान का भारतीय सेना में करीब 40 वर्षों का करियर रहा है। इस दौरान उनके पास कई कमांड और स्टाफ रहे। उनकी कई महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां हुईं। फरवरी 2019 में बालाकोट एयर स्ट्राइक के वक्त उनकी नियुक्ति डीजीएमओ (डायरेक्टर जनरल ऑफ मिलिट्री ऑपरेशन) के तौर पर हुई थी। उन्होंने जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर भारत में उग्रवादी एवं अलगावादी आंदोलनों के खिलाफ सैन्य अभियानों का भी नेतृत्व किया। वो पिछले वर्ष मई महीने में सेना से रिटायर हुए थे। सरकारी बयान में कहा गया है, ‘आर्मी से रिटायरमेंट के बाद भी वो राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मामलों में योगदान देते रहे हैं।’

गोरखा राइफल्स से शुरू किया सेना में करियर

लेफ्टिनेंट जनरल अनिल चौहान वर्ष 1981 में भारतीय सेना के 11 गोरखा राइफल्स में भर्ती हुए थे। वो खड़गवासला की नैशनल डिफेंस अकेडमी (NDA) और देहरादून स्थित इंडियन मिलिट्री अकेडमी (IMA) से प्रशिक्षित हैं। ध्यान रहे कि देश के प्रथम सीडीएस जनरल बिपिन रावत भी 11 गोरखा राइफल्स से ही थे।

जानें लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान के बारे में 1अन्‍य 2 बातें

1. 40 सालों से अधिक की अपनी सैन्य सेवा के दौरान लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने कई कमांड संभाले हैं। उन्हें जम्मू-कश्मीर और पूर्वोत्तर राज्यों में आतंक निरोधी ऑपरेशन का व्यापक अनुभव है।

2. 18 मई 1961 को जन्मे लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान 1981 में भारतीय सेना के 11 गोरखा राइफ़ल्स में शामिल हुए थे।

3. राष्ट्रीय रक्षा अकादमी (एनडीए) खड़गवासला और भारतीय सैन्य अकादमी (आईएमए) देहरादून से पढ़े हैं।

4. मेजर जनरल के पद पर रहते हुए उन्होंने जम्मू-कश्मीर के बारामूला सेक्टर में नॉर्दर्न कमांड में इन्फैंट्री डिवीजन की कमान संभाली।

5. बाद में लेफ़्टिनेंट जनरल के पद पर रहते हुए उन्होंने पूर्वोत्तर कोर का नेतृत्व किया। भारतीय सेना में कुल 14 कोर हैं।

उत्तराखंड से ही हैं लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान

6. उसके बाद वे सितंबर 2019 से मई 2021 यानी अपने रिटायरमेंट तक ईस्टर्न कमांड के जनरल ऑफिसर कमांडिंग-इन-चीफ़ रहे।

7. इसके अलावा वे डायरेक्टर जनरल मिलिट्री ऑपरेशन के पद पर भी रह चुके हैं।

8. लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान ने संयुक्त राष्ट्र के अंगोला मिशन में भी अपनी सेवाएं दी हैं।

9. 31 मई 2021 को लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान सेना से रिटायर हुए थे।

10. सेना से रिटायरमेंट के बाद भी उन्होंने राष्ट्रीय सुरक्षा और रणनीतिक मसलों पर अपना योगदान देना जारी रखा।

11. सेना में उनके विशिष्ट और शानदार सेवा के लिए लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान (रिटायर्ड) को परम विशिष्ट सेवा मेडल, उत्तम युद्ध सेवा मेडल, अति विशिष्ट सेवा मेडल, सेना मेडल और विशिष्ट सेवा मेडल से सम्मानित किया जा चुका है।

12. देश के पहले सीडीएस जनरल बिपिन रावत की तरह ही नए सीडीएस लेफ़्टिनेंट जनरल अनिल चौहान भी उत्तराखंड से ही हैं।

-Compiled by Up18News