सबसे बड़ा सवाल: भारतीय नोट पर तस्वीर किसकी लगेगी, आखिर यह तय करता कौन है?

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आजकल हमारी जेब में मौजूद नोटों में महात्मा गांधी नजर आते हैं। हालांकि 75 साल से ऐसा नहीं है। 1947 में देश को आजादी मिली और 22 साल के बाद 1969 में राष्ट्रपिता की जन्म शताब्दी के मौके पर रिजर्व बैंक ने 100 रुपये के नोट पर पहली बार बापू की तस्वीर छापी। बताते हैं कि आजादी मिलने के फौरन बाद ही इस पर चर्चा शुरू हो गई थी लेकिन बापू की तस्वीर पर आम सहमति बनने में काफी टाइम लग गया। तब तक ब्रिटिश किंग की तस्वीर की जगह सारनाथ की तस्वीर प्रकाशित की जा रही थी।

1987 में 500 रुपये के नोट पर मुस्कुराते हुए गांधी की तस्वीर छापी गई और फिर यह चलन में आ गया। कम लोगों को पता होगा कि आजादी के बाद नोट पर काफी प्रयोग किए गए। 1949 में 1 रुपये के नोट के डिजाइन पर अशोक स्तंभ लाया गया। 1953 में नए नोटों पर हिंदी प्रमुखता से दिखी। इस पर भी डिबेट हुआ कि रुपया लिखें या रुपये। 1954 में तो 1,000 रुपये, 5,000 रुपये और 10,000 रुपये के नोट चलन में आ गए। इससे पहले 1938 में पहली बार भारतीय रिजर्व बैंक ने सबसे ज्यादा मूल्य के 10,000 रुपये के नोट प्रिंट किए थे। 1996, 2005 और फिर 2016 में महात्मा गांधी सीरीज के नए नोट जारी किए गए।

सबसे बड़े सवाल का जवाब

RBI की वेबसाइट पर FAQ सेक्शन में 10वां सवाल यही है कि नए बैंक नोट पर किसकी तस्वीर छापी जाएगी, इसका फैसला कौन करता है। जवाब में बताया गया है कि आरबीआई एक्ट के सेक्शन 25 के तगत बैंक नोट के डिजाइन, स्वरूप और सामग्री को लेकर फैसला सेंट्रल बोर्ड की सिफारिशों पर केंद्र सरकार लेती है। मतलब साफ है कि दोनों- सरकार और आरबीआई की संयुक्त टीम यह तय करती है।

आजादी के बाद जब महात्मा गांधी की तस्वीर छापने में दो दशक लग गए तो धर्मनिरपेक्ष स्वरूप वाले भारत देश में भगवान की तस्वीर लगाने का फैसला लेना आसान नहीं है। अक्सर बापू की जगह आंबेडकर की तस्वीर लगाने की मांग होती रहती है। हिंदू महासभा की ओर से सुभाष चंद्र बोस और कई लोगों की तरफ से रवींद्रनाथ टैगोर, एपीजे अब्दुल कलाम की तस्वीर लगाने की मांग उठती रही है।

तब जेटली ने कही थी बड़ी बात

इस संबंध में 2014 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली का लोकसभा में दिया गया बयान महत्वपूर्ण हो जाता है। उन्होंने कहा था कि रिजर्व बैंक के पैनल ने नोटों पर किसी दूसरे नेशनल लीडर की तस्वीर छापने पर साफ कहा है कि महात्मा गांधी से बेहतर कोई दूसरी हस्ती देश के चरित्र को प्रदर्शित नहीं कर सकती है।

Compiled: up18 News