राजपूत राजा ठाकुर अर्जुन सिंह गौड़ और अमर सिंह राठौड़ के शौर्य की कहानी

विक्रम सम्वत 1701 में शाहजहां का दरबार खुले में लगा हुआ था। करीब पाँच हजार या उससे भी अधिक लोग ठसाठस भरे हुए थे। अधिकतर मुसलमान थे। बीच से एक तंग गलियारा सा बादशाह तक जाता था। सभी मुगल सूबेदार और राजपूत ठाकुर बादशाह से मिलने अपनी अपनी बारी के अनुसार आ जा रहे थे। […]

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