बिना स्वतंत्र मीडिया के स्वस्थ लोकतंत्र को सुनिश्चित कर पाना संभव नहीं

राजनीतिक हस्तक्षेप के चलते राजनेताओं और मीडिया घरानों के बीच सांठगांठ के परिणामस्वरूप अक्सर पक्षपातपूर्ण रिपोर्टिंग होती है और असहमति की आवाज़ों का दमन होता है। धमकियाँ और हमले: पत्रकारों को शारीरिक हिंसा, उत्पीड़न और धमकी का सामना करना पड़ता है, खासकर जब वे भ्रष्टाचार, मानवाधिकार उल्लंघन या सांप्रदायिक तनाव जैसे संवेदनशील मुद्दों को कवर […]

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पत्रकारिता के भेष में घूम रहे दलाल, दलाली से हो रहे मालामाल

शराब की दुकानों से करते हैं दिनभर अबैध वसूली फर्जी ट्वीट करके शराब बेच रहे सेल्समैनों से करते हैं सौदेबाजी ट्वीट को डिलीट की बोलकर कर लेते हैं ठगी बीच में कम हो गया था इन तथाकथित पत्रकारो का आतंक, लेकिन फिर से बढ़ गया आबकारी अधिकारी क्यों नहीं करते इन तथाकथित पत्रकारों पर कार्यवाही, […]

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जो बिक गया, वो चल गया, क्या आज भी पत्रकारिता जिंदा है?

आगरा। आज हमारे देश की पत्रकारिता का प्रेस फ्रीडम इंडेक्स, प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक में हम 180 देशो के संगठन में 142 वे स्थान पर हैं। अब आप इसी से अन्दाजा लगाइये कि हमारे देश में पत्रकार और पत्रकारिता कितनी स्वतंत्र है। इसी बात को आगे बढ़ाते हुए वरिष्ठ पत्रकार शीतल सिंह ने अपने वक्तव्य में […]

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