शहर की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले समूह “आगरा व्यथा” ने की बैठक

आगरा। एक खंडहर के ह्दय सी, एक जंगली फूल सी, आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है…। कवि दुष्यंत की इन पंक्तियों में जो आग है वो आपके भीतर भी सुलग रही है। अब इसे हवा देकर इस शहर की सूरत को बदला जाएगा। शहर की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले समूह […]

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