शहर की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले समूह “आगरा व्यथा” ने की बैठक

Press Release

आगरा। एक खंडहर के ह्दय सी, एक जंगली फूल सी, आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है…। कवि दुष्यंत की इन पंक्तियों में जो आग है वो आपके भीतर भी सुलग रही है। अब इसे हवा देकर इस शहर की सूरत को बदला जाएगा।

शहर की समस्याओं को लेकर आवाज उठाने वाले समूह आगरा व्यथा की पहली ऑफलाइन बैठक रविवार को सिकंदरा स्थित उजाला सिग्नस रेनबो हॉस्पिटल के सभागार में हुई। इसमें शहर की समस्याओं और उनके समाधान को लेकर सरकार द्वारा उपलब्ध साधनों का ही उपयोग करके आगे बढ़ने पर चर्चा की गई।

समूह के संचालक डॉ संजय चतुर्वेदी ने कहा कि अपनी आवाज को अलग-अलग मंचों से उठाने के अलावा हमारे पास सरकारी माध्यम भी हैं जिनसे हम समस्याओं को आगे ला सकते हैं, जिम्मेदारी तय कर सकते हैं और संबंधित विभागों या अधिकारियों से जवाब मांग सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमें आरटीआई और जनसुनवाई जैसे माध्यमों को अपनी आवाज बनाना होगा। हममें से बहुत कम लोग ही अभी इन माध्यमों का सही ढंग से इस्तेमाल कर पा रहे हैं।

डॉ. मुनीश्वर गुप्ता ने कहा कि अगर सरकारी पैसे को अपना मानें तो सुधार ला सकते हैं। हमें जवाब मांगने होंगे। एक-एक पाई का हिसाब मांगना होगा। डॉ सतेंद्र कुमार चंद्रा ने बंदर और कुत्तों के आतंक को कम करने, आवारा पशुओं की वजह से सड़क हादसों की बात को आगे बढ़ाया।

डॉ शम्मी कालरा ने कहा कि राजनेताओं द्वारा पूर्व के वर्षों में कराए गए कार्यों का हिसाब मांगना शुरू करें। आरटीआई, जनसुनवाई को माध्यम बनाएं।

सामाजिक कार्यकर्ता नरेश पारस ने आरटीआई और जनसुनवाई जैसे माध्यमों पर विस्तार से प्रकाश डाला।

पार्षद शिरोमणि सिंह ने सभी समस्याओं को लेकर सप्ताह में एक बार मंडलायुक्त, नगर आयुक्त समेत संबंधित अधिकारियों से मिलने की बात कही।

डॉ रजनीश कुमार मिश्रा ने सोशल मीडिया के उपयोग से साथ ही ट्विटर पर रिट्वीट करने का आग्रह किया, जिससे मुद्दों के निस्तारण का दबाव बढ़ाया जा सके।

इस दौरान डाॅ. राहुल गुप्ता, अमित शर्मा, मुकेश गुप्ता, अनंत नगायच, विकास अग्रवाल, संजय चोपड़ा, अखिलेश दुबे आदि मौजूद थे।

-up18news