ये जनहित याचिका सीआर जया सुकिन नाम के एक एडवोकेट ने दायर की थी जिस पर जस्टिस जेके माहेश्वरी और जस्टिस पीएस नरसिम्हा की दो सदस्यीय वैकेशन बेंच ने विचार करने से इंकार कर दिया. शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि शुक्र मनाइए कि आप पर जुर्माना नहीं लगा रहे.
जस्टिस जेके महेश्वरी और पीएस नरसिम्हा की पीठ ने याचिकाकर्ता से इस पीएलआई दायर करने का कारण पूछा. जिस पर याचिकाकर्ता सीआर जया सुकिन ने आर्टिकल 79 की जिक्र किया लेकिन जजों द्वारा इसका मतलब पूछे जाने पर वो कोई ठोस जवाब नहीं दे सके.
कोर्ट ने कहा, हम जानते हैं कि ये याचिका क्यों दाखिल हुई?
इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम जानते हैं ये याचिका दाखिल क्यों हुई? याचिका दाखिल होने के पीछे क्या हित है? कोर्ट ने तल्ख लहजे में कहा कि ऐसी याचिका दाखिल करोगो तो जुर्माना लगेगा. गनीमत मनाइए कि आप पर जुर्माना नहीं लगा रहे हैं.
बेंच ने कहा कि “हम इस जनहित याचिका पर सुनवाई करने के पक्ष में नहीं हैं.” सुप्रीम कोर्ट के इंकार के बाद याचिकाकर्ता ने अपनी याचिका वापस ले ली.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन करने वाले हैं.
शुक्रवार को इस मामले पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने इस मुद्दे पर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता का पक्ष जानना चाहा.
तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ऐसे मामले सुनवाई के लिहाज से तर्कसंगत और न्यायोचित नहीं हैं.
उन्होंने कहा, “याचिकाकर्ता को ये कहा जाना चाहिए कि वे सुप्रीम कोर्ट से पीआईएल वापस लेने के बाद किसी हाई कोर्ट में भी न जाएं.” इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई से इंकार कर दिया.
Compiled: up18 News