सुप्रीम कोर्ट ने कड़ी शर्तों के संग दी तीस्ता सीतलवाड़ को दी अंतरिम ज़मानत

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सुनवाई के दौरान किसने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई के दौरान गुजरात के लिए पेश हुए सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये मानना गलत है कि सिर्फ तीस्ता के मामले में हाई कोर्ट ने जमानत पर नोटिस के बाद सुनवाई के लिए 6 हफ्ते बाद का समय दिया. यह गुजरात हाई कोर्ट में सामान्य प्रक्रिया है. 3 अगस्त को यानी जिस दिन तीस्ता की याचिका पर नोटिस जारी हुआ, उस दिन कई लोगों को सुनवाई के लिए इससे भी आगे का समय दिया गया. उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट चाहे तो हाई कोर्ट से 19 सितंबर से पहले सुनवाई के लिए कह दे, लेकिन खुद जमानत न दे, यह गलत मिसाल होगी.

राज्य सरकार तीस्ता को दुश्मन मानती है- सिब्बल

वहीं तीस्ता सीतलवाड़ के वकील कपिल सिब्बल ने कहा कि राज्य सरकार तीस्ता को अपना दुश्मन मानती है. उन्हें किसी भी तरह जेल में बनाए रखना चाहती है. याचिकाकर्ता से 7 दिन तक पुलिस हिरासत में पूछताछ हुई है और अब भी न्यायिक हिरासत में है. याचिकाकर्ता सेशन्स कोर्ट और हाई कोर्ट के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंची हैं. कपिल सिब्बल ने कहा कि सिर्फ सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के आधार पर एफआईआर हुई. एफआईआर में याचिकाकर्ता के खिलाफ आरोप ठीक से दर्ज नहीं थे. वह दो महीने से अधिक समय से जेल में है, जमानत मिलनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमारी समझ से मामले में यह बिंदु अहम हैं- याचिकाकर्ता महिला है, 2 महीने से अधिक समय से जेल में है, जो आरोप लगे हैं वह 2002 से 2012 के बीच के हैं और पुलिस ने 7 दिन तक हिरासत में पूछताछ की है. तुषार मेहता ने कहा कि हाई कोर्ट में मामला लंबित रहते यहां से बेल नहीं मिलनी चाहिए. सुनवाई हाई कोर्ट में ही होनी चाहिए. मेहता ने यह भी कहा कि जांच के दौरान कई सबूत मिले हैं, जो एफआईआर में नहीं लिखे गए थे.

मुंबई से लिया गया था हिरासत में

तीस्ता सीतलवाड़ 2002 के गुजरात दंगों से संबंधित मामलों को दर्ज करने के लिए फर्जी दस्तावेज लगाने के आरोप में 25 जून से हिरासत में हैं. तीस्ता सीतलवाड़ को गुजरात पुलिस के आतंकवाद निरोधी दस्ते ने मुंबई से हिरासत में लिया था. उनको हिरासत में लेने से एक दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने जकिया जाफरी की 2002 गुजरात दंगों से जुड़ी याचिका को खारिज किया था.

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी को दंगों के मामले में एसआईटी द्वारा दी गई क्लीन चिट को बरकरार रखा था. जकिया जाफरी ने एसआईटी के क्लीन चिट के फैसले को चुनौती दी थी. तीस्ता सीतलवाड़ की एनजीओ ने कानूनी लड़ाई के दौरान जकिया जाफरी का समर्थन किया था.

-एजेंसी