कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हाई कोर्ट की ओर से हिजाब पहनने पर रोक के फैसले को चुनौती देने वाली अर्जी पर आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान शीर्ष अदालत में जजों और वकीलों के दिलचस्प बहस देखने को मिली। जस्टिस हेमंत गुप्ता ने केस की सुनवाई के दौरान एक वकील से कहा कि इस मामले में आप अतार्किक नहीं हो सकते। क्या राइट टू ड्रेस के साथ राइट टू अनड्रेस भी शामिल है? इस पर वकील देव दत्त कामत ने कहा कि कोई भी स्कूल में अनड्रेस नहीं हो रहा। इस पर जस्टिस गुप्ता ने कहा, ‘समस्या यह है कि एक समुदाय के लोग जहां हिजाब पहनने की मांग कर रहे हैं वहीं दूसरे समुदाय के लोग ड्रेस कोड का पालन कर रहे हैं। दूसरे समुदायों के छात्र यह नहीं कह रहे हैं कि हम यह पहनना चाहते हैं और यह नहीं।’
बहस के दौरान रुद्राक्ष और क्रॉस पर भी उठा सवाल
बहस के दौरान वकील कामत ने कहा कि बहुत से छात्र क्रॉस और रुद्राक्ष पहनकर आते हैं। इस पर जज ने कहा कि ये चीजें शर्ट के अंदर पहनी जाती हैं। कोई भी शर्ट उठाकर यह नहीं देखता कि छात्र ने रुद्राक्ष पहन रखा है या नहीं। जस्टिस हेमंत गुप्ता और जस्टिस सुधांशु धूलिया ने कहा, ‘आपके पास धार्मिक अधिकार हो सकता है और उसे आप अपने मुताबिक मान सकते हैं। लेकिन क्या आप इस मान्यता को स्कूल तक ले जा सकते हैं, जब सभी बच्चों के लिए एक ड्रेस तय है। मुख्य सवाल इसी बात पर है।’ संविधान के आर्टिकल 25 के तहत धार्मिक आजादी के सवाल पर बेंच ने कहा कि यह मसला थोड़ा सा अलग है। यह जरूरी भी हो सकता है और नहीं भी।
सेक्युलर देश में कैसे दे सकते हैं धार्मिक मान्यता पर जोर
हम यह कहना चाहते हैं कि क्या सरकारी संस्थान में आप अपनी धार्मिक मान्यताओं को मानने पर जोर दे सकते हैं क्योंकि हमारे संविधान की प्रस्ताव भारत को एक सेक्युलर देश बताती है। फिलहाल अदालत ने इस मामले में कोई फैसला नहीं दिया है और गुरुवार को भी इसकी सुनवाई जारी रखने की बात कही है। बता दें कि यह विवाद इसी साल की शुरुआत में कर्नाटक के उडुपी जिले के पीयू कॉलेज से शुरू हुआ था। जब 6 मुस्लिम छात्राओं ने आरोप लगाया था कि उन्हें क्लासरूप में एंट्री नहीं दी जा रही है क्योंकि उन्होंने हिजाब पहन रखे थे।
मुस्लिम छात्राओं की अर्जी पर हाई कोर्ट ने दिया था क्या फैसला
छात्राओं ने हिजाब पर रोक के विरोध में आंदोलन शुरू कर दिया था और फिर यह धीरे-धीरे राज्यवापी आंदोलन में तब्दील हो गया था। यही नहीं इस आंदोलन से ध्रुवीकरण तेज होता दिखा और कई जगहों पर हिंदू छात्र भी भगवे गमछे पहनकर संस्थानों में जाने लगे। छात्राओं के विरोध पर कॉलेज के प्रिंसिपल ने कहा था कि कैंपस में हिजाब पहना जा सकता है, लेकिन क्लासरूम में एंट्री से पहले इसे उतारना होगा। लंबे विवाद के बाद मामला हाई कोर्ट पहुंचा था, जिसने शिक्षण संस्थानों के फैसले को ही सही मानते हुए हिजाब पर बैन जारी रखने का आदेश दिया था।
-एजेंसी
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