सुप्रीम कोर्ट के सामने शुक्रवार को एक ‘अजीब’ जनहित याचिका आई। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस हिमा कोहली की बेंच ने जब डीटेल्स पढ़ीं तो नाराज हो गए। याचिका में पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और बैंक ऑफ बड़ौदा (BoB) का नाम बदलने की मांग की गई थी।
याचिकाकर्ता ओंकार शर्मा PNB की मुंबई ब्रांच में सीनियर ऑडिटर हैं। उनकी दलील थी कि ये दोनों बैंक नेशनल बैंक हैं मगर इनके नाम से ऐसा जाहिर नहीं होता। शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट से गुहार लगाई कि वह इनके नाम से ‘पंजाब’ और ‘बड़ौदा’ शब्दों को हटा दे।
याचिकाकर्ता ने ‘समाज के हित’ का तर्क दिया। बेंच के गले उनकी दलील नहीं उतरी। सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा, ‘क्या? और इनके नाम क्या रखें? बड़ौदा क्रिकेट टीम भी तो है, उसके नाम को भी चुनौती क्यों नहीं देते?’ सीजेआई की अगुवाई वाली बेंच ने कहा कि बैंकों का नाम बदलना अदालत के अधिकार में नहीं आता।
शीर्ष अदालत बॉम्बे हाई कोर्ट के 28 जुलाई को जारी आदेश के खिलाफ शर्मा की अपील पर सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को ‘बेकार’ बताते हुए कहा कि यह नीति का मसला है और न्यायपालिका इसमें कुछ नहीं कर सकती।
वकील ने ‘जनहित’ का दिया हवाला तो जज ने झाड़ा
याचिकाकर्ता के वकील का कहना था कि अनपढ़ लोग इनके नाम से नहीं जान पाएंगे कि ये क्षेत्रीय बैंक हैं या राष्ट्रीय/अंतर्राष्ट्रीय बैंक। सीजेआई की टिप्पणी के बाद जब वकील ने कहा कि ऐसा करना जनहित में होगा तो जस्टिस कोहली ने फटकार दिया।
जस्टिस कोहली ने कहा, ‘क्या हित? क्या वे (बैंक) पंजाबियों के अलावा और किसी को खाता खोलने से रोक रहे हैं?’ फिर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी। याचिकाकर्ता के लिए राहत यह रही कि अदालत ने उस पर जुर्माना नहीं लगाया।
दोनों राष्ट्रीय बैंक हैं सरकारी
बैंक ऑफ बड़ौदा और पंजाब नेशनल बैंक, दोनों ही सरकारी हैं। पीएनबी का मुख्यालय दिल्ली में है जबकि BoB का वडोदरा में। दोनों की गिनती स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के बाद देश के सबसे बड़े सरकारी बैंकों में होती हैं। इन दोनों बैंकों की विदेशों में भी कई शाखाएं हैं।
Compiled: up18 News
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